देश की सबसे किफायती एयरलाइन इंडिगो पिछले 2 दिनों से पूरे देश में काफी ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई है। इसकी वजह फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नए नियम है। नए नियम के तहत पायलटों के लिए साप्ताहिक विश्राम अवधि 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दी गई और रात्रि लैंडिंग को पहले के छह से दो घंटे तक सीमित कर दिया गया। इसके बाद से ही इंडिगो में प्रतिदिन लगभग 170-200 फ्लाइट कैंसिल हो रही हैं।

इंडिगो ने गुरुवार को पिछले दो दिनों में अपने नेटवर्क और संचालन में गड़बड़ी के बाद ग्राहकों से माफी मांगी है। गुरुवार को इंडिगो ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को सूचित किया कि वह व्यवधान को कम करने के लिए 8 दिसंबर से उड़ानों का संचालन कम करना शुरू कर देगा और उम्मीद है कि 10 फरवरी तक सामान्य संचालन पूरी तरह से बहाल हो जाएगा।

हालांकि, मौजूदा हालात थोड़े खराब है, लेकिन इस बात को नजरअंदाज करना नामुमकिन है कि इंडिगो महज एक और एयरलाइन नहीं है। यह भारतीय एयरलाइन सेक्टर की सबसे बड़ी सफलता की कहानी है, एक ऐसी एयरलाइन जिसने आम लोगों के लिए उड़ान की नई परिभाषा गढ़ी और किफायती एयर ट्रेवल के विचार को महानगरों से आगे बढ़ाया…

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कैसे हुई इंडिगो की शुरूआत

इंडिगो की शुरुआत अगस्त 2006 में दो दोस्तों (राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल) ने मिलकर की थी। दोनों की पहली मुलाकात 1985 में युनाइटेड एयरवेज के मुख्यालय में हुई, तब राकेश गंगवाल वहीं काम कर रहे थे। इंडिगो ने जब शुरुआत की तो बड़ी संख्या में विमानों का ऑर्डर दिया था। वर्ष 2005 में एयरबस से 100 विमानों की डील की।

इंडिगो ने 4 अगस्त 2006 को दिल्ली और मुंबई को जोड़ने वाले तीन A320 विमानों के साथ उड़ान भरी। अप्रैल 2007 तक, इसने दस लाख यात्रियों को उड़ाने में सफलता प्राप्त कर ली थी। 2010 में, यह एयर इंडिया को पीछे छोड़कर 17.3% बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई। अगस्त 2012 एक बड़ा माइल्स स्टोन साबित हुआ, जब इंडिगो यात्री भार के हिसाब से नंबर एक एयरलाइन बन गई और उसी वर्ष दिसंबर तक 5 करोड़ यात्रियों का आंकड़ा पार कर गई।

400 से ज्यादा हैं विमान

इंडिगो की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इंडिगो को पास अभी 400 से ज्यादा विमान हैं और वे रोजाना 2,200 से अधिक उड़ानें चलाते हैं, जो 130 से ज़्यादा जगहों (जिनमें 40 से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय स्थान हैं) को जोड़ती हैं।

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वह पॉर्टनरशिप जिसने इंडिगो को बनाया और फिर टूट गई

इंडिगो को फाउंडर्स ने मिलकर सफल बनाया। राहुल भाटिया ने लागत नियंत्रण का बहुत नॉलेज था तो वही राकेश गंगवाल ने ऑपरेशन को संभाला। उनके ज्वाइंट नेतृत्व ने इंडिगो को भारत की सबसे शक्तिशाली एयरलाइन बना दिया।

फिर भी, इसमें दरारें दिखाई देने लगीं। 2019 तक, प्रशासन संबंधी विवाद सार्वजनिक रूप से सामने आ गए। 2022 में, गंगवाल ने बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। 2025 तक, उन्होंने अपनी अधिकांश शेयरधारिता बेच दी और एयरलाइन से पूरी तरह बाहर हो गए। इस इस्तीफे के साथ ही भारतीय विमानन क्षेत्र की सबसे प्रभावशाली साझेदारियों में से एक का अंत हो गया।

इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (Indigo) के वित्तीय हालात

एक्‍सचेंज फाइलिंग के मुताबिक, कंपनी ने सितंबर तिमाही में 2581.7 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। कंपनी को एक वर्ष पहले इसी अवधि में 986.7 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इसका रेवन्यू फ्रॉम ऑपरेशन्स 9.3 फीसदी बढ़कर 18555.3 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 16,969.6 करोड़ रुपये था।