भारत से टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने अपनी सिडैन कॉरला ऑल्टिस कार की 23,157 गाड़ियां वापस मंगवाने का फ़ैसला किया है। यह फोर व्हीलर 2010 से 2012 के बीच बनी यूनिट्स का हिस्सा हैं। दरअसल, इन कारों के अंदर लगे एयर बैग्स के चलते ग्राहकों की जान आफ़त में पड़ने लगी थी, यह कभी भी धमाके के साथ फट पड़ते थे। इसी ख़तरनाक उपकरण के चलते अब तक 16 की जान जा चुकी है, जबकि 180 घायल हो चुके हैं। टोयोटो ने इन्हें जापान की कंपनी टकाटा से मंगवाया था।

भारत के अलावा टोयोटा जापान, चीन, ओशनिया और दूसरे कई देशों से भी 2010 से 2012 की मैन्यूफैक्चरिंग वाली कॉरला ऑल्टिस की 29 लाख गाड़ियों को रिकॉल कर रही है। ज़ाहिर है, इस क़दम से ऑटो मोबाइल जगत ख़ासा प्रभावित होगा। टोयोटा जापान में बेची गईं 7.5 लाख कारों, चीन में बेची गईं 6.5 लाख कारों, यूरोप में बेची गईं 3.5 लाख कारों और दुनिया के बाकि हिस्सों में बेची गईं 11.6 लाख कारों को वापस मंगवाएगी। अमेरिका में पहले ही 4.2 करोड़ कारें एयरबैग को ठीक करने के लिए पहले ही मंगा ली गई थीं।

इससे पहले जनवरी में होंडा ने भी एयरबैग्स की ख़ामी को दुरूस्त करने के लिए अपनी कई मॉडल्स की 41,580 यूनिट्स को बाज़ार से रिकॉल किया था।

जापानी कंपनी टकाटा की साख पर सवाल
टकाटा की स्थापना 1930 में हुई थी। शुरूआत में यह कंपनी पैराशूट बनाने का काम करती थी, जिनका इस्तेमाल जापानी सेना सेकंड वर्ल्ड वॉर में करती थी। 1960 में वो दौर आया जब टकाटा ने ऑटोमोबाइल के उपकरण बनाना शुरू किया।

किस काम आता है एयर बैग ?
सड़क हादसे के दौरान एयर बैग होने पर ड्राइवर की जान बच सकती है। कार में टक्कर लगने से ठीक पहले एयरबैर सेंसर से एक्टिव होने पर अपने आप खुलता है। स्टेरिंग के नीचे मौजूद इन्फ्लेटर एक्टिव हो जाता है। इन्फ्लेटर सोडियम अज़ाइड के साथ मिलकर नाइट्रोजन गैस पैदा करता है। ये गैस एयरबैग में भर जाती है जिससे वह फूलता है। टक्कर लगने या गाड़ी पलटने के हालात में बॉडी झटका खाकर एयरबैग से टकराती है।