लगभग खाली पड़े कार शोरूम में कोई खरीदार नहीं है। कार डीलर्स अपने स्टॉक को खाली करने का प्रयास कर रहे हैं और कार की कीमत के पीछे का गणित समझाने का प्रयास कर रहे हैं। जीएसटी 2.0 के तहत टैक्स की दर में कटौती के बाद भारी छूट की उम्मीद में ग्राहक पूछताछ के लिए आ रहे हैं, लेकिन उन्हें थोड़ी निराशा भी हो रही है।

हालांकि, जीएसटी में बड़े बदलाव ने कई कारों पर दरों को कम कर दिया है और सेस (CESS) को भी हटा दिया है, जिससे कारों के सस्ते होने की उम्मीद है, लेकिन जिन डीलरों ने पुरानी कीमतों पर निर्माताओं से कारें मांगी हैं, उन्हें उस पर GST और CESS का भुगतान करना पड़ा है। वे कारें, जो डीलरों ने आने वाले त्योहारी सीजन के कारण स्टॉक कर ली थीं, अब बेचना मुश्किल साबित हो रहा है, क्योंकि ग्राहक पुरानी दर पर कारें खरीदने को तैयार नहीं हैं।

कार डीलरों को इतना हो सकता है नुकसान

ऐसे में अब कार डीलरों को अपनी जेब से उन कारों पर छूट देनी पड़ रही है। हमारी सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अनुमान है कि उन्हें 2,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, जिससे उनकी वर्किंग कैपिटल खत्म हो जाएगी। उन्हें यकीन नहीं है कि रिफंड के मामले में कुछ राहत मिलेगी या नहीं और यह राहत कहां से आएगी।

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FADA ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र

सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने कहा, ‘GST 2.0 में ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए पहले वाली Compensation Cess व्यवस्था शामिल है। लेकिन आज डीलरों के इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में बड़ी मात्रा में वैध Compensation Cess बचा हुआ है। अब जब आगे कोई नया सेस देय नहीं है, तो इस बची हुई राशि को मौजूदा कानून के तहत CGST/SGST/IGST के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अगर इसके लिए कोई संक्रमणकालीन व्यवस्था नहीं बनाई गई तो यह क्रेडिट खत्म हो जाएगा। इससे डीलरों को अनपेक्षित और स्थायी नुकसान होगा और MSME डीलरशिप की कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) पर बड़ा असर पड़ेगा।’

हमारी सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस ने जब प्रमुख वाहन निर्माताओं के कई शोरूम का दौरा किया, तो सभी ऑटो डीलरशिप में एक ही बात समान थी कि कंपनी द्वारा घोषित छूट से अधिक छूट नहीं दी जा रही है और डीलरशिप ने पुराना स्टॉक खत्म होने तक निर्माताओं से कारें खरीदना बंद कर दिया है।

साउथ दिल्ली स्थित हुंडई के एक शोरूम में, स्टोर मैनेजर ने बताया कि वे कंज्यूमर्स को दो दरें दे रहे हैं – 22 सितंबर से पहले की और बाद की दरें। मैनेजर ने बताया कि वास्तव में, पहले से स्टॉक में मौजूद कारों पर छूट कम कर दी गई है।

मैनेजर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “आम तौर पर, हम डीलर कार के मॉडल के आधार पर 30,000-70,000 रुपये की छूट देते हैं। लेकिन अब चूंकि पुरानी GST दर प्रणाली के तहत सेस के कारण डीलरों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, इसलिए प्रति कार अनुमानित नेट लॉस 30,000-40,000 रुपये हो रहा है।”

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डीलर ने हुंडई से तब तक कारें खरीदना बंद कर दिया है जब तक कि उसका लगभग 250 कारों का पुराना स्टॉक बिक नहीं जाता।

वही, मारुति नेक्सा का शोरूम भी खाली था, स्टोर मैनेजर का कहना था कि पिछले 4 वर्षों में कार बिक्री के लिहाज से यह शायद उनके द्वारा देखा गया सबसे खराब OND महीनों (अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर) में से एक हो सकता है। मैनेजर ने कहा कि जीएसटी 2.0 दरों में कटौती की घोषणा के बाद, खरीदार अब भारी छूट की मांग करते हुए शोरूम में आ रहे हैं। कुछ ने तो यह भी कहा कि ऑटो पार्ट्स पर कम टैक्स दर के कारण वाहन निर्माताओं के लिए कार निर्माण की लागत कम हो गई है और इसलिए, अधिक छूट मिलनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “कार कोई पनीर नहीं है। यह रातोंरात नहीं बनती, इसे बनने में कई महीने लगते हैं और इसकी एक वैल्यू चैन होती है। ग्राहक हमारे पास आ रहे हैं और जीएसटी कटौती के आधार पर कीमतों में कटौती की मांग कर रहे हैं, वे कह रहे हैं कि ऑटो पार्ट्स पर टैक्स की दर भी कम हो गई है, लेकिन यह उस तरह से काम नहीं करता।”

हालांकि, महिंद्रा के शोरूम में स्थिति बिल्कुल अलग थी, जहाम 5-6 परिवार कारों के बारे में पूछताछ करने आए थे। डीलरशिप के पास 277 बिना बिकी कारों का स्टॉक होने के बावजूद, शोरूम मैनेजर ने कहा कि वे मुस्लिम और सिख परिवारों से खरीदारी देख रहे हैं, जबकि हिंदू ‘श्राद्ध’ के दौरान खरीदारी करने से परहेज कर रहे हैं।

महिंद्रा के डीलरशिप मैनेजर ने कहा कि उनके पास कारों का एक अलग पोर्टफोलियो है – उनकी अधिकतर कारों में 1200 सीसी से अधिक के इंजन हैं। शोरूम मैनेजर ने कहा कि बड़ी कारों के लिए जीएसटी में कटौती छोटी कारों जितनी नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे पास सिर्फ एक कार 3XO है जिसमें 1.2 लीटर का इंजन है, बाकी सभी कारें बड़ी क्षमता की हैं।

कंपनी ने कीमतों में कटौती की घोषणा की है, लेकिन डीलर ने कहा कि ये छूट सिर्फ 21 सितंबर तक डिलीवर होने वाली कारों पर ही लागू होगी। उन्होंने कहा, “हम 21 सितंबर तक छूट दे रहे हैं, नई जीएसटी दरें लागू होने के बाद अधिक छूट नहीं मिलेगी।”

पिछले सप्ताह घोषित GST सुधारों के तहत, 1200 सीसी (पेट्रोल) और 1500 सीसी (डीजल) से अधिक इंजन क्षमता वाली और 4 मीटर से अधिक लंबी नहीं होने वाली छोटी कारें अब 18% के स्लैब में आएंगी, जबकि पहले ये 28% और सेस के स्लैब में थीं। बड़ी कारों पर 28% की बजाय 40% टैक्स लगाया जाएगा। सभी ऑटोमोटिव पुर्जों पर अब 18% टैक्स लगेगा।

ऑटो सेक्टर अब उन वाहनों पर लगाए गए टैक्स को अरजेस्ट करने की समस्या से जूझ रहा है जो कारखाने से निकलकर डीलरशिप तक पहुंच चुके हैं, लेकिन संभवतः 22 सितंबर के बाद ही बेचे जाएंगे जब तकनीकी रूप से सेस समाप्त हो जाएगा। पहले से चुकाए गए सेस को अरजेस्ट करने की व्यवस्था अब एक जटिल समस्या बन गई है। सोमवार को एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में जीएसटी 2.0 से उत्पन्न होने वाले बदलाव की दिक्कतों (Transitional Issues) पर चर्चा की गई।