देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2019-20 में पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह 6.8 प्रतिशत रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में यह बात सामने आई है। इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख वजह विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटना है। चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर दो प्रतिशत पर आने का अनुमान है।
सरकार ने जो अनुमान लगाया है वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के अनुमान के बराबर है। केंद्रीय बैंक ने दिसंबर में जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया था। आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में जीडीपी दर के आंकड़े को घटाया था।
अनुमान के अनुसार कृषि, निर्माण और बिजली, गैस और जलापूर्ति जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर भी नीचे आएगी। वहीं खनन, लोक प्रशासन और रक्षा जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर में मामूली सुधार का अनुमान है।
सरकार ने अनुमान लगाया है कि ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2018-19 के दौरान यह 6.6 प्रतिशत थी। मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के 2019-20 में 2% बढ़ने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष में यह 6.9% थी। केंद्र ने जीडीपी पर पहला पूर्वानुमान चालू वर्ष के 9 महीने के आंकड़ों पर आधारित है। सरकार बजट पेश करने के बाद एक और पूर्वानुमान जारी करेगी।
‘गोवा की जीडीपी वृद्धि दर 9.8 प्रतिशत रहने का अनुमान’: इसी बीच, गोवा की राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 2018-19 में करीब 9.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इसके मुताबिक राज्य की प्रति व्यक्ति आय 5.04 लाख रुपये रही जो कि देश में सबसे अधिक है। गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को राज्य विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि राजस्व स्त्रोतों में कमी , वैश्विक आर्थिक नरमी और खनन गतिविधियों पर रोक के बावजूद गोवा ने आर्थिक प्रगति हासिल की है।
राज्यपाल ने कहा कि गोवा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 2017-18 (अनंतिम) में 11.08 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है जबकि 2018-19 में त्वरित अनुमान के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय 5.04 लाख रुपये सालाना के साथ राज्य की वृद्धि दर करीब 9.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि गोवा की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे ज्यादा है , यह राष्ट्रीय औसत के तीन गुने से अधिक है। यह एक मजबूत और बेहतर अर्थव्यवस्था की ओर से इशारा करती है।

