केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। खास तौर कई बार यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में जुड़ने की डेडलाइन बढ़ाने के बाद भी इसे उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिलने के बाद इस मांग ने ज्यादा जोर पकड़ लिया है। इस मांग की संसद में भी चर्चा हो रही है। OPS निश्चित पेंशन देती है, जबकि NPS और UPS योगदान आधारित हैं। इसी अंतर को लेकर कर्मचारियों की चिंता और असहमति बनी हुई है।

लोकसभा में शेयर किए गए आधिकारिक डेटा के अनुसार, लगभग 23 लाख योग्य कर्मचारियों में से सिर्फ 1.22 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों ने ही UPS को चुना है, जबकि सरकार ने डेडलाइन 30 नवंबर तक बढ़ा दी थी। कम संख्या में लोगों के इसे अपनाने से कर्मचारी यूनियनों और विपक्षी सांसदों की ओल्ड पेंशन स्कीम पर वापस लौटने की मांग मजबूत हुई है, जो आखिरी सैलरी से जुड़ी एक तय पेंशन की गारंटी देती है।

सरकार ने किया अपना रुख साफ

15 दिसंबर को लोकसभा में कुछ सवालों के जवाब में, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) या यूनिफाइड पेंशन योजना (UPS) के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए OPS को बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

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अभी भी क्यों है OPS की मांग?

सरकारी कर्मचारियों के बीच ओल्ड पेंशन स्कीम काफी लोकप्रिय है। यह योजना जीवन भर पेंशन की गारंटी देती है। इसके तहत, कर्मचारियों को उनकी आखिरी बेसिक सैलरी के 50% के बराबर पेंशन मिलती है, साथ ही महंगाई भत्ता भी मिलता है। इसका पूरा खर्च सरकार उठाती है।

इसके विपरीत, NPS और UPS योगदान-आधारित सिस्टम हैं, जहां कर्मचारी और नियोक्ता दोनों सेवा के वर्षों के दौरान योगदान करते हैं। अंतिम पेंशन जमा राशि और निवेश रिटर्न पर निर्भर करती है।

UPS को एक बीच के रास्ते के रूप में पेश करने के बावजूद डेटा से पता चलता है कि अधिकांश केंद्रीय कर्मचारी इससे सहमत नहीं हैं।

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सरकार अपने रुख पर कायम

इस सीधे सवाल के जवाब में कि क्या NPS और UPS को खत्म करके OPS को बहाल किया जाएगा, वित्त मंत्रालय ने साफ तौर पर इससे इनकार कर दिया।

मंत्री ने सदन में कहा, “केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने का कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।”

जवाब में यह भी साफ किया गया कि जबकि कुछ राज्यों ने OPS को अपनाया है, केंद्र ने केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए अपना रुख नहीं बदला है।

इन राज्यों ने OPS वापस लाई है लेकिन कुछ शर्तों के साथ

सरकार ने पुष्टि की कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने PFRDA को अपने राज्य कर्मचारियों के लिए OPS फिर से शुरू करने के बारे में सूचित किया है।

हालांकि, केंद्र ने साफ किया कि पहले से जमा NPS फंड को राज्यों को वापस करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इससे उन राज्यों के लिए ऑपरेशनल चुनौतियां पैदा हो गई हैं जो OPS पर वापस लौट आए हैं, क्योंकि मौजूदा नियमों के तहत NPS के तहत जमा पेंशन कॉर्पस को वापस नहीं किया जा सकता या ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।