केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत लगभग 2,000 चिकित्सा प्रक्रियाओं और परीक्षणों के लिए नई उपचार दरें जारी की हैं। लगभग 15 वर्षों में प्राइस लिस्ट में यह सबसे बड़ा संशोधन है। ये नई दरें 13 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी होंगी और देश भर में सीजीएचएस-लिस्टेड और नॉन-लिस्टेड अस्पतालों में इलाज करा रहे लाभार्थियों पर सीधा प्रभाव डालेंगी।

सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों के लिए नई दरें

नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों में इलाज की दरें अब एनएबीएच-मान्यता प्राप्त अस्पतालों की तुलना में 15% ज्यादा होंगी यानी अगर किसी शहर के एनएबीएच-मान्यता प्राप्त अस्पताल में सुपर-स्पेशियलिटी इलाज की लागत 1 लाख रुपये है, तो सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में वही इलाज अब 1.15 लाख रुपये का होगा।

यह तेजी उन अस्पतालों पर लागू होगी जो सुपर-स्पेशलिटी कैटेगिरी में आते हैं – जैसे कि कार्डियोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, ऑन्कोलॉजी और नेफ्रोलॉजी जैसी उच्च-स्तरीय सेवाएं प्रदान करने वाले अस्पताल।

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क्या हैं एनएबीएच और एनएबीएल?

एनएबीएच अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक मान्यता निकाय है, जो रोगी सुरक्षा, देखभाल की गुणवत्ता और नैतिक प्रथाओं पर केंद्रित है। एनएबीएल परीक्षण, अंशांकन और चिकित्सा प्रयोगशालाओं के लिए एक अलग मान्यता निकाय है, जो प्रयोगशाला परीक्षण और नैदानिक ​​सेवाओं में तकनीकी क्षमता और गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। दोनों निकाय भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) के अंतर्गत आते हैं।

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कहां लागू होंगी नई दरें?

– सभी सीजीएचएस-संबद्ध स्वास्थ्य सेवा संगठनों (HCOs) में प्रदान की जाने वाली सेवाएं।

– चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावे (सेवारत कर्मचारी, पेंशनभोगी और अन्य पात्र श्रेणियां)।

– सीजीएचएस पेंशनभोगियों और अन्य पात्र श्रेणियों के लिए कैशलेस उपचार (क्रेडिट उपचार) जारी रहेगा।

नई दरों की पूरी सूची आधिकारिक सीजीएचएस वेबसाइट cghs.mohfw.gov.in पर उपलब्ध है।

शहर के अनुसार सीजीएचएस दरों में अंतर –

– टियर-1 शहरों की दरें मानक मानी जाएंगी।

– टियर-2 शहरों की दरें 10% कम होंगी।

– टियर-3 शहरों की दरें 20% कम होंगी।

(ये दरें पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अस्पतालों पर भी लागू होंगी।)