वैश्विक स्तर पर सोने की मांग 2016 की तीसरी तिमाही में 10 प्रतिशत घटकर 992.8 टन रही है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इससे पिछले साल की समान तिमाही में वैश्विक सोने की मांग 1,104.8 टन रही थी। डब्ल्यूजीसी की ‘स्वर्ण मांग का रुख -2016 की तीसरी तिमाही’ पर रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान कुल निवेश मांग 44 प्रतिशत बढ़कर 336 टन हो गई, क्योंकि निवेशक लगातार सोने में रणनीतिक निवेश कर रहे हैं।  रिपोर्ट के अनुसार समीक्षाधीन तिमाही में स्वर्ण आधारित एक्सचेंज ट्रेडेड उत्पाद (ईटीपी) का प्रवाह 146 टन रहा। इसमें मुख्य रूप से यूरोपीय कोषों का दबदबा रहा। सालाना आधार पर सोेने की छड़ और सिक्कों की मांग तीसरी तिमाही में 36 प्रतिशत घटकर 190 टन रही।


केंद्रीय बैंक की मांग 82 टन की रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 168 टन थी। तिमाही के दौरान कुल खान आपूर्ति चार प्रतिशत घटकर 832 टन रह गई, जो एक साल पहले समान तिमाही में 866 टन थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने के बढ़ते दामों की वजह से उपभोक्ता अपने सोने की रिसाइक्लिंग कराने को भी उत्साहित दिखे। समीक्षाधीन अवधि में रिसाइक्लिंग से आपूर्ति 341 टन रही, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक है।

 

भारत में सोने की रिसाइक्लिंग का रुख अधिक दिखा। यहां ग्राहकों ने कुल 39 टन सोने की रिसाइक्लिंग कराई। यह आंकड़ा 2012 की चौथी तिमाही के बाद सबसे उच्च्ंचा है। डब्ल्यूजीसी के मार्केट इंटेलिजेंस प्रमुख एलिस्टेयर हेविट ने कहा, ‘‘तीसरी तिमाही में स्वर्ण आधारित एक्सचेंज टेंडेड उत्पादों (ईटीपी) में प्रवाह जारी रहा। इस तरह साल के दौरान कुल प्रवाह अभी तक 725 टन पर पहुंच गया है।’ हेविट ने कहा कि दुनिया के दो प्रमुख स्वर्ण बाजारों चीन और भारत में उपभोक्ता मांग में क्रमश: 22 और 28 प्रतिशत की गिरावट आई। उन्होंने कहा कि चीन में मौजूदा आर्थिक अनिश्चितता की वजह से बहुमूल्य धातु के प्रति धारणा नरम पड़ी। भारत में अधिक सख्त सरकारी नीतियों, सोने की ऊंची कीमत और ग्रामीणों की खर्च योग्य आय में कमी से उपभोक्ता धारणा प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि इन वजहों से आभूषणों की कुल मांग सालाना आधार पर 21 प्रतिशत घटकर 493.1 टन रह गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 621.6 टन थी।