देश में कालाधन वापस लाने और कर चोरी के लिए शेयर बाजार का दुरुपयोग किए जाने की जांच चल रही है। नियामकीय और अन्य एजंसियों को संदेह है कि विदेश में जमा कालेधन को देश में वापस लाने के लिए ग्लोबल डिपाजिटरी रिसीट्स (जीडीआर) मार्ग का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस गोरखधंधे में कालेधन को कई तहों से गुजार कर भारत वापस लाने के लिए खास कर स्विट्जरलैंड, हांगकांग, सिंगापुर, मारीशस, दुबई और कनाडा जैसे देशों में पंजीकृत कंपनियों के पेचीदे जाल बुने गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें विदेशों में सूचीबद्ध कंपनियों के जरिए फंड जुटाने की आड़ में कालाधन वापस लाने का संदेह है। वित्तीय मामलों की जांच करने वाली कुछ अन्य एजंसियों ने भी यह मुद्दा उठाया है। जीडीआर निर्गम भारत और अन्य देशों की कंपनियों की ओर से विदेशों में डिपाजिटरी शेयर जारी कर डालर या यूरो में पूंजी जुटाने का एक लोकप्रिय तरीका है।
जीडीआर एक प्रकार के बैंक प्रमाणपत्र होते हैं, जो कंपनी के शेयरों के आधार पर जारी किए जाते हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय बैंक की विदेशी शाखाएं खरीदती हैं। इन कंपनियों के शेयरों का कारोबार तो घरेलू बाजारों में होता है पर डिपाजिटरी रसीदों की बिक्री नामित बैंकों की शाखाओं के जरिए
दुनिया में कहीं पर भी की जा सकती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच के दायरे में आए मामलों में यह देखने में आया है कि कंपनियों ने वास्तविक निवेशकों को शामिल किए बिना धन जुटाया है, जो काले धन को देश में वापस लाने की इशारा करता है। अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा जीडीआर जारीकर्ता कंपनी और उन संदिग्ध निवेशकों के बीच संबंध का भी पता चला है जिनके खातों से धन लगाए गए थे।
जीडीआर के जरिए जुटाए गए धन को आगे स्थानांतरित करने के लिए कंपनियां जाली कारोबारी सौदे और कई बैंक खातों का इस्तेमाल करती हैं। इसके बाद पैसा अंतिम लाभार्थी के पास पहुंचता है। काला धन रखने वालों के लिए इसे वापस लाने का महत्वपूर्ण मार्ग ‘राउंट ट्रिपिंग’ (घुमा फिरा कर वापस लाना) है। इसमें किसी इकाई द्वारा संपत्ति या धन कारोबारी सौदे के नाम पर विदेशी इकाई को स्थानांतरित किया जाता है और बाद में उसे वापस खरीदने की सहमति होती है।
जीडीआर के अलावा नियामकीय व अन्य एजंसियां कर चोरी के लिए शेयर बाजार के दुरुपयोग की भी जांच कर रही हैं। इसके अलावा ये कंपनियां कालेधन को वापस लाने के लिए ऐसी कंपनियों के जरिए कारोबार करती हैं, जो सिर्फ कागज पर होती हैं। सेबी इन व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा प्रतिभूति बाजार उल्लंघन की जांच पर ध्यान दे रही है। इन कंपनियों ने कर की देनदारी से बचने और कालेधन को ‘वैध धन’ में बदलने के लिए कम से कम 25 सूचीबद्ध कंपनियों के साथ कारोबार का इस्तेमाल किया। इसके लिए इन कंपनियों ने शेयर बाजार में नकली घाटा या लाभ दिखाया।
सेबी ऐसी इकाइयों के डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के इस्तेमाल की भी जांच कर रहा है। उसने अन्य एजंसियों मसलन आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और वित्तीय खुफिया इकाई को कर चोरी और मनी लांड्रिंग के मामलों की आगे जांच करने को कहा है। अग्रिम चरण में यह जांच 25 सूचीबद्ध कंपनियों तक पहुंची है। इनके शेयरों में बिना किसी आधारभूत वजह से अत्यधिक फायदा देखने को मिला। नियामक अपनी जांच का दायरा और बढ़ा सकता है। इससे ऐसी इकाइयों की संख्या बढ़ सकती है।