गैस, पावर से लेकर पोर्ट तक के कारोबार में बड़ा दखल रखने वाले गौतम अडानी उन कारोबारियों में से हैं, जिन्होंने बीते दो से तीन दशकों में ही अपनी पहचान बनाई है। भारत में पोर्ट्स का संचालन करने वाले अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में बाल-बाल बचे थे। एक महत्वाकांक्षी कारोबारी के तौर पर गौतम अडानी देश में आंत्रप्रेन्योर्स के लिए कामयाबी का उदाहरण हो सकते हैं। कहा जाता है कि बचपन में एक बार वह कांडला पोर्ट पर गए थे, जहां उन्होंने सोचा कि एक दिन उनके पास भी इस तरह का एक बंदरगाह होगा। यही नहीं 1995 में उन्होंने अपने इस सपने को पूरा भी किया। गौतम अडानी का सफर एक तरह से सपनों को ही पूरा करनी की कहानी है। आइए जानते हैं, गौतम अडानी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें…

पढ़ाई बीच में छोड़कर मुंबई जाकर डायमंड का बिजनेस करने वाले गौतम अडानी ने महज तीन सालों में ही इस सेक्टर में महारत हासिल कर ली थी। गौतम अडानी को अपनी राह खुद बनाने वाले लोगों में से जाना जाता है। पिता के टेक्सटाइल बिजनेस को उन्होंने कमोडिटी एक्सपोर्ट के कारोबार में तब्दील किया था क्योंकि उन्हें टेक्सटाइल के बिजनेस में रुचि नहीं थी।

कहा जाता है कि एक बार गौतम अडानी गुजरात के कांडला पोर्ट गए थे। उस दिन उन के मन में एक खयाल आया था कि एक दिन वह भी इसी तरह का कुछ बड़ा काम करेंगे। 1962 में जन्मे गौतम अडानी का सपना 1995 में उस वक्त पूरा हुआ, जब उनकी कंपनी को गुजरात के ही मुंद्रा पोर्ट के संचालन का ठेका मिला था। इस पोर्ट को देश के सबसे बड़े निजी पोर्ट में तब्दील करने का श्रेय गौतम अडानी को ही जाता है।

गौतम अडानी को सरकारी योजनाओं से जुड़कर काम करने के लिए जाना जाता रहा है। बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहे नीतीश कुमार को उन्होंने ही बंदरगाहों को रेल लाइनों से लिंक करने की सलाह दी थी। इसके बाद पोर्ट्स को रेल नेटवर्क से लिंक करने का काम शुरू किया गया था। इस नीति पर अब भी काम जारी है। माल ढुलाई और सप्लाई के लिहाज से अहम यह प्रोजेक्ट गौतम अडानी के ही दिमाग की उपज कहा जा सकता है।