गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत केंद्र सरकार ने 20 जून से देश के 6 राज्यों 116 जिलों में प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने की बात कही है। पीएम नरेंद्र मोदी बिहार के खगड़िया जिले से इस स्कीम की शुरुआत करेंगे। इस बीच योजना को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि केंद्र की ओर से उन जिलों की लिस्ट भी नहीं मांगी गई, जहां स्कीम के तहत काम कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि आखिर क्यों केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को लिस्ट में शामिल नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में बीते दो महीनों में 11 लाख प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि उसकी ओर से ऐसे जिलों को इस स्कीम के लिए चुना गया है, जहां 25,000 से ज्यादा प्रवासी मजदूर दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों से वापस लौटे हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के कम से कम छह जिले- मालदा, मुर्शिदाबाद, बीरभूम, कूचबिहार, दक्षिण 24 परगना और पुरुलिया, इसमें शामिल किए जा सकते थे। केंद्र सरकार की ओर से तय मानदंडों पर ये जिले खरे उतरते हैं। लेकिन पता नहीं किस कारण से केंद्र सरकार ने हमसे जिलों की लिस्ट नहीं मांगी है।
पश्चिम बंगाल ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य से उन जिलों की लिस्ट मंगानी चाहिए थी, जहां इस स्कीम को लागू किया जा सकता था। यह समय राजनीति करने का नहीं है बल्कि ऐसे लोगों की मदद करने का है, जिन्हें इस संकट के दौर में अपना रोजगार गंवाना पड़ा है। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि बीजेपी सरकार ने एक तरह से राज्य को नजरअंदाज करने का काम किया है क्योंकि सूबे में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है।
गौरतलब है कि सरकार इस स्कीम के तहत 125 दिनों के लिए प्रवासी मजदूरों को रोजगार की गारंटी देने वाली है। 116 जिलों के 25,000 लोगों को इस स्कीम के तहत रोजगार दिया जाएगा। इस तरह से कम से कम कुल 29 लाख लोगों को रोजगार दिया जाएगा।