बदलते वर्क कल्चर में फ्रीलांस काम तेजी से लोकप्रिय हुआ है। आज फ्रीलांस प्रोफेशनल (Freelance Professionals) हर फील्ड में बड़ी संख्या में हैं और बढ़िया कमाई कर रहे हैं। फ्रीलांस से होने वाली कमाई को आम तौर पर लोग टैक्स फ्री मान लेते हैं। हालांकि यह सच नहीं है। फ्रीलांस काम करने वाले प्रोफेशनल को कुछ मामलों में जीएसटी (GST) का भुगतान करना पड़ सकता है।

जीएसटी कानूनों (GST Law) को देखें तो इसके नाम में ही सेवा यानी सर्विस (Service) जुड़ा हुआ है। मौजूदा कानून में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति कर योग्य सर्विस दे रहा है तो उसे अपने राज्य में जीएसटी के तहत पंजीयन कराना पड़ेगा। यह प्रावधान उनके ऊपर भी लागू है, जो फ्रीलांस सर्विस देते हैं।

किन Freelance Professionals की बनती है GST देनदारी

कोई भी फ्रीलांस प्रोफेशनल, जिसका सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये से अधिक है, उसके ऊपर जीएसटी की देनदारी बनती है। पूर्वोत्तर के राज्यों के मामले में टर्नओवर की यह लिमिट 10 लाख रुपये है। इस दायरे में आने वाले सभी फ्रीलांस प्रोफेशनल पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी की देनदारी बनती है।

GST देने से नहीं पड़ेगा Freelance कमाई पर असर

इस सवाल पर बात करने से पहले कुछ जरूरी बातें जान लेते हैं। अगर आप जीएसटी के तहत पंजीकृत फ्रीलांसर हैं, तो ऐसे मामले में जीएसटी उस पार्टी से वसूल लिया जाता है, जिसे आप सर्विस दे रहे हैं। चूंकि जीएसटी कानूनों में इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रावधान किया गया है, आप इसे बाद में क्लेम कर वापस पा सकते हैं। इससे आपको हो रही कमाई पर कोई असर नहीं पड़ता है। फर्क बस इतना होता है कि पैसे मिलने में कुछ अधिक समय लग सकता है।

GST पंजीयन नहीं कराने के नुकसान

टैक्स से बचने के लिए काम की शुरुआत में ही अक्सर दोनों पक्ष जीएसटी नहीं भरने पर सहमत हो जाते हैं। कुछ मामलों में ऐसा नहीं होता है। खासकर यदि फ्रीलांस प्रोफेशनल किसी इंडिविजुअल के बजाय किसी कंपनी को सर्विस देते हैं, तो ऐसे मामले में कंपनी जीएसटी काटकर अपनी ओर से सरकार के पास जमा करा देती है। ऐसे मामलों में उन फ्रीलांस प्रोफेशनल को घाटा हो जाता है, जिनके पास जीएसटी पंजीयन नहीं होता है। बिना जीएसटी पंजीयन के इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम करना संभव नहीं है। वहीं, जो फ्रीलांस प्रोफेशनल पंजीकृत होते हैं, वे बाद में आईटीसी क्लेम कर पैसे वापस पा जाते हैं।

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Upwork/Freelancer जैसे प्लेटफॉर्म से काम करने वाले उठाते हैं नुकसान

फ्रीलांस काम की बढ़ती लोकप्रियता ने कई ऑनलाइन मार्केटप्लेस को भी उभारा है। अपवर्क (Upwork) और फ्रीलांसर (Freelancer) ऐसे ही मंच हैं। ये मंच सर्विस देने वाले फ्रीलांसर और काम कराने वाले पक्षों के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं। चूंकि ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर जीएसटी के अतिरिक्त प्रावधान लागू होते हैं, ये सर्विस देने वाले फ्रीलांसर से भी शुरुआत में ही एक प्रतिशत टीसीएस काट लेते हैं। इसके लिए भी वही फ्रीलांसर आईटीसी क्लेम कर सकते हैं, जिनके पास जीएसटी पंजीयन होता है।