बीमा क्षेत्र के नियामक इरडई ने उम्मीद जताई है कि पुनर्बीमा क्षेत्र की कुछ कंपनियां भारत में अगले साल जनवरी के आसपास अपने कार्यालय खोल सकतीं हैं। नियामक ने यह भी संकेत दिया कि उसकी अक्तूबर में होने वाले निदेशक मंडल की बैठक में दूसरे चरण के लाईसेंस (आर-2) देने पर फैसला हो सकता है। देश में फिलहाल सार्वजनिक क्षेत्र की जीआईसी-रि ही एकमात्र पुनर्बीमा कंपनी है जो कि कार्यरत है। विश्व स्तर की जिन पुनर्बीमा कंपनियों ने इरडई के पास लाइसेंस के लिए आवेदन किया है उनमें म्यूनिख-रि, स्विस-रि, स्कोर, हैनोवर रि, एक्स एल कैटलिन और आरजीए प्रमुख हैं।

भारतीय बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण (इरडेई) के चेयरमैन टी.एस. विजयन ने यहां उद्योग संगठन एसोचैम के एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘नए बीमा कानून में विदेशी पुनर्बीमा कंपनियों को भारत में अपनी शाखायें खोलने की अनुमति दी गई है। कई लोगों ने हमसे संपर्क किया है।’ विजयन ने कहा, ‘पांच से छह लोगों ने लाइसेंस के लिये हमसे संपर्क किया है और मेरा मानना है कि अगले साल जनवरी तक इनमें से कुछ यहां अपना दफ्तर खाल लेंगे। हम अपनी बोर्ड की बैठक में इस बारे में निर्णय लेंगे। मेरा मानना है कि इरडई की अगली बोर्ड की बैठक में आर-2 लाइसेंस देने के बारे में निर्णय लिया जा सकता है।’

दस साल से काम कर रही बीमा कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के बारे में विजयन ने कहा कि कानून कहता है कि कंपनियों को जनता के पास जाना चाहिए लेकिन उन्होंने तुरंत जोड़ा कि नियामक को इसके लिये दिशानिर्देश तैयार करने में कुछ और समय लगेगा। उन्होंने कहा, ‘हम इस पर परिचर्चा पत्र लाना चाहते हैं, हम दस्तावेज यदि लाते हैं और कंपनियां कहतीं हैं कि वह देखना चाहतीं हैं कि यह कैसे आगे बढ़ता है। बहरहाल, हम ऐसी स्थिति में नहीं पहुंचे हैं जहां मसौदे को अंतिम रूप दे सकें।’

साधारण बीमा कंपनियों के सूचीबद्धता के बारे में पूछे जाने पर विजयन ने कहा, ‘सरकार पहले ही कह चुकी हैं कि साधारण बीमा कंपनियां भी सूचीबद्ध हो सकतीं हैं लेकिन मैंने इस पर कोई दस्तावेज नहीं देखा है। मेरा मानना है कि इस पर चर्चा चल रही है।’ बीमा क्षेत्र में कमीशन के नS ढांचे के बारे में पूछे जाने पर विजयन ने कहा कि इरडेई की अगली बोर्ड बैठक में इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। विदेशी पुनर्बीमा कंपनियों को भारत में काम शुरू करने के लिS इरडेई से तीन स्तरीय लाइसेंस लेना होता है। इनमें से कुछ ने पहले ही आर-1 लाइसेंस प्राप्त कर लिया है और अब आर-2 और आर-तीन की प्रतीक्षा में हैं।