केंद्र सरकार ने मौजूदा कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की आधार दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को इसकी घोषण की। वित्त मंत्री के इस एलान के बाद शुक्रवार को सेंसेक्स में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। लेकिन इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मोदी सरकार के इस कदम से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है।

इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यह घाटा मार्च 2020 तक चार साल के सबसे उच्चतम स्तर पर जा सकता है। मालूम हो कि सरकार ने जुलाई में चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को घटाकर 3.3 प्रतिशत किया है। सात अर्थशास्त्रियों के सर्वे की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस रिपोर्ट पर गुड़गांव स्थित इंडिपेंडेंट रिसर्च प्रोवाइडर टीएस लोम्बार्ड में अर्थशास्त्री शुमिता शर्मा देवेश्वर ने कहा कि राजकोषीय विस्तार और मुद्रास्फीति के दबाव चलते ऐसा संभव है। हालांकि इस समय सरकार के पास कुछ विकल्प उपलब्ध हैं और इससे बाहर निकलने के लिए कठोर उपायों की जरुरत है।’

मालूम हो कि वित्त मंत्री ने जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले जिन राहतों की घोषणा की, इनसे सरकारी खजाने को सालाना 1.45 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इन घोषणाओं को विकास में सहायक और भविष्य के अनुकूल माना जा रहा है। हालांकि राजकोषीय स्थिति पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा और घाटा के लक्ष्य को पाने में सरकार के चूकने की आशंका बढ़ गई है।

वहीं गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुंबई में ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक फोरम के कार्यक्रम के दौरान कहा कि शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक मौजूदा परिस्थितियों पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। दास ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये नरमी के चक्र से निपटने के उपायों को राजकोषीय गुंजाइश कम है।