Fight Over Schezwan Chutney: FMCG दिग्गज डाबर को ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस दिया है। डाबर को 5 फरवरी को इस नोटिस का जवाब देना है। बता दें कि इस नोटिस को पिछले सप्ताह जारी किया गया था। Bar and Bench की रिपोर्ट के मुताबिक, डाबर द्वारा अपने एक प्रोडक्ट में ‘Schezwan Chutney (शेज़वान चटनी)’ नाम इस्तेमाल करने पर यह नोटिस पिछले सप्ताह मिला है। इस केस को टाटा कंज्यूमर के मालिकाना हक वाले Capital Foods ने कथित तौर पर ट्रेडमार्क उल्लंघन के चलते दर्ज कराया है।

अपनी याचिका में कैपिटल फूड्स ने दावा किया कि ‘शेज़वान चटनी’ कंपनी का एक जाना-माना नाम है और इसे ब्रैंड के तौर पर प्रमोट करने में बड़ा पैसा और समय खर्च हुआ है। कंपनी ने डाबर पर अपने प्रोडक्ट के लिए एक जैसे ब्रैंड नाम और पैकेजिंग इस्तेमाल करके ग्राहकों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, कैपिटल फूड्स क आरोप है कि डाबर इस नाम को हाईलाइट करने के लिए बोल्ड लेटर्स (बड़े शब्दों) का इस्तेमाल कर रही है जबकि कंपनी का नाम काफी कम दिखाया है।

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Schezwan Chutney के ट्रेडमार्क को लेकर छिड़ी जंग

बता दें कि डाबर ने पिछले साल यह प्रोडक्ट लॉन्च किया था। और ‘Schezwan Chutney’ के ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के लिए Trademarks Registry से संपर्क किया था। कंपनी ने तर्क दिया था कि इस शब्द का मतलब, प्रोडक्ट के प्रकार और गुणवत्ता से है और इसे ट्रेडमार्क प्रोटेक्शन नहीं मिलना चाहिए। कंपनी ने दावा किया कि “शेजवान चटनी” एक सामान्य शब्द है और इसे ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत नहीं किया जा सकता है।

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Ching’s Secret और Smith & Jones जैसे ब्रैंड्स का मालिकाना हक कैपिटल फूड्स के पास है। Tata Consumer ने जनवरी 2024 में अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में इन ब्रैंड्स को तेजी से बढ़ती कैटेगिरी, ज्यादा-मार्जिन वाले बाजारों में पहुंच बनाने के इरादे से शामिल किया था।

भारत की लीडिंग एफएमसीजी कंपनियों में से एक, डाबर के पोर्टफोलियो में च्यवनप्राश और रियल जूस जैसे प्रसिद्ध ब्रांड हैं। कैपिटल फूड्स ने पहले “शेजवान चटनी” ट्रेडमार्क के संबंध में कॉपीराइट उल्लंघन के मामले दर्ज किए हैं।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा चलाई जाने वाली कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), भारत के सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों (Social Security Programmes) में से एक है। इस योजना के तहत कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि (Service Period) और वेतन के आधार पर मासिक पेंशन मिलती है। 16 नवंबर, 1995 को लॉन्च की गई EPS, संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद नियमित आय मुहैया करने के इरादे से डिजाइन की गई है। पूरी खबर पढ़ें यहां