पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित किए गए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की दूसरी किस्त में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों और मजदूरों के लिए मेगा ऐलान किए हैं। किसानों को लेकर उन्होंने कहा कि इस संबंध में अभी कुछ और रियायतें आ सकती हैं। सरकार ने किसानों के लिए जो ऐलान किए हैं, उनमें से ज्यादातर कर्ज से संबंधित हैं। हालांकि जब किसान कर्ज लेने से हिचक रहे हैं तो यह ऐलान कितने फायदेमंद होंगे, यह सवाल जरूर उठता है। आइए जानते हैं, क्या है किसानों को जारी लोन के आंकड़े की हकीकत…

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2.5 करोड़ किसानों को क्रेडिट कार्ड दिए जाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इसके जरिए किसानों को दो लाख करोड़ रुपये के लोन दिए जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भले ही देश में इन दिनों लॉकडाउन जारी है, लेकिन मार्च और अप्रैल महीने के दौरान भी किसानों को 86,000 करोड़ रुपये की रकम जारी की है। यूं तो यह आंकड़ा सुनने में काफी बड़ा लगता है, लेकिन सरकार के ही टारगेट के मुताबिक देखें तो यह कम है।

सरकार के औसत से भी कम लोन ले रहे किसान: सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में किसानों को कर्ज के लिए 15 लाख करोड़ रुपये की रकम बजट में आवंटित की है। इस हिसाब से देखें तो प्रति माह 1.25 लाख करोड़ का औसत होता है। अब दो महीनों में 2.5 लाख करोड़ रुपये होना चाहिए था, लेकिन किसानों ने महज 86,000 करोड़ रुपये का ही कर्ज लिया है। ऐसे में यह सवाल भी उठते हैं कि आखिर किसान लोन लेने से हिचक क्यों रहे हैं और यदि कर्ज लिए ही नहीं जा रहे हैं तो फिर सरकार की ओर से जारी पैकेज से क्या होगा?

नाबार्ड को जारी मोटी रकम कहां खर्च होगी: वित्त मंत्री ने नाबार्ड को भी 30,000 करोड़ रुपये और जारी किए हैं ताकि ग्रामीण बैंकों को फंडिंग दी जा सके और ग्राम विकास एवं किसानों को कर्ज में राशि खर्च हो सके। बता दें कि नाबार्ड को सरकार की ओर से पहले ही 90,000 करोड़ रुपये सरकार दे चुकी है। ऐसे में एक बार फिर वही सवाल है कि जब किसान पहले ही लोन से बच रहे हैं तो फिर नाबार्ड को जारी की गई रकम से क्या लक्ष्य हासिल होगा।

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