अकेले दम पर अपनी कंपनी के कारोबार को तेजी से फैलाने वाली फाल्गुनी नायर का नाम इन दिनों चर्चा में है। उनकी कंपनी ‘नायका’ स्टाक एक्सचेंज में प्रवेश करने वाली भारत की पहली महिला-नेतृत्व वाली कंपनी बन चुकी है और वे अपने बलबूते देश की सबसे रईस महिलाओं में शुमार हो गई हैं। देश के ज्यादातर बड़े कारोबारी घरानों की बात की जाए तो उनके बनने और शीर्ष पर पहुंचने में दो से तीन पीढ़ियों का वक्त लगा, लेकिन अगर कोई दस बरस में अपने बलबूते खुद को देश और दुनिया के सबसे रईस लोगों में शुमार कर ले तो सफलता की इस कहानी को परिकथा से कम नहीं कहा जाएगा।

इसी तरह फाल्गुनी नायर की सफलता की कहानी किसी परिकथा से कम नहीं है। उन्होंने 50 साल की उम्र में 2012 में अपनी खुद की कंपनी शुरू की। उन्होंने ‘नायका’ की स्थापना की। तब उन्हें तो क्या दुनिया में किसी को यह एहसास नहीं था कि एक दिन उसी व्यापार की वजह से वह उद्योग जगत की मलिका बन जाएंगी।

‘ब्लूमबर्ग’ की अरबपतियों की सूची में फाल्गुनी से पहले सिर्फ छह भारतीय महिलाओं को शामिल किया गया था। 58 वर्ष की फाल्गुनी नायका के लगभग आधे शेयर्स पर मालिकाना हक रखती हैं और स्टॉक एक्सजेंज में लिस्टिंग के साथ उनके शेयर में आए जबर्दस्त उछाल के बाद उनकी कुल संपदा 6.5 अरब डालर पर पहुंच गई है। एक समय सिर्फ महिलाओं में पहचाना जाने वाला यह नाम आज दुनियाभर में गूंज रहा है। देशभर में उनकी कंपनी के 70 स्टोर और 1500 से अधिक ब्रांड हैं।

फाल्गुनी का जन्म 19 फरवरी 1963 को मुंबई में रहने वाले एक गुजराती परिवार में हुआ। उन्होंने मुंबई में स्रातक स्तर की पढ़ाई करने के बाद अहमदाबाद के प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान से उच्च शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई पूरी करने के बाद 1985 में नायर ने प्रबंधन परामर्श कंपनी एएफ फर्गुसन एंड कंपनी में काम करना शुरू किया और 1993 में कोटक महिंद्रा समूह के साथ जुड़ीं। इस दौरान उन्होंने कामयाबी के नए आयाम स्थापित किए और कोटक महिंद्रा इंवेस्टमेंट बैंक की प्रबंध निदेशक तथा कोटक सिक्योरिटीज में निदेशक के पद पर रहीं।

50 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते अमूमन लोग रिटायरमेंट और उसके बाद के बारे में सोचने लगते हैं, लेकिन फाल्गुनी ने इस उम्र में बड़ा दांव खेला और अपनी बेहतरीन नौकरी छोड़कर कंपनी ‘नायका’ की शुरुआत की। दरअसल उस समय देश में महिलाओं के लिए विशिष्ट सौंदर्य उत्पाद बनाने वाली कंपनी न होने के कारण ‘नायका’ को देश की महिलाओं ने हाथों हाथ लिया। उसके बाद की कहानी तो अब हर किसी की जुबान पर है। नायका संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है अपने प्रमुख किरदार को निभाने वाली अभिनेत्री और इसमें दो राय नहीं हैं कि फाल्गुनी ने भारतीय बाजार में प्रवेश करके निवेशकों को जिस तरह से मालामाल कर दिया है, वह सही मायने में ‘दलाल स्ट्रीट’ की ‘नायका’ हैं।