पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से कई महीनों पहले लॉन्च हुई फेसलेस इनकम टैक्स अपील की व्यवस्था आज से शुरू हो रही है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से 13 अगस्त से ही सभी टैक्सपेयर्स के लिए फेसलेस असेसमेंट फैसिलिटी की शुरुआत की जा चुकी है। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि फेसलेस सिस्टम के जरिए जटिलता कम होगी और टैक्स कलेक्शन का दायरा बढ़ जाएगा। भारत में टैक्स के फेसलेस असेसमेंट की शुरुआत अक्टूबर, 2019 से पायलट बेसिस के आधार पर की गई थी। फेसलेस असेसमेंट के लिए कुछ ढांचागत बदलावों की जरूरत है और इस पर काम चल रहा है। इसके अलावा नई व्यवस्था के लिए इनकम टैक्स अधिकारियों को भी ट्रेनिंग दी जा रही है।

फेसलेस असेसमेंट की क्यों है जरूरत: सरकार का कहना है कि इसका मकसद यह है कि टैक्स के मामलों का तेजी से क्लियरेंस हो सके। इसके अलावा टैक्सपेयर्स और ऑफिसर्स के बीच इंटरफेस कम हो सके। सरकार का मानना है कि इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में आसानी होगी। नई व्यवस्था के तहत गंभीर धोखाधड़ी, बड़ी टैक्स चोरी जैसे मामलों को छोड़कर अन्य सामान्य केस फेसलेस असेसमेंट के जरिए ही निपटाए जाएंगे।

जानें, क्या है फेसलेस इनकम टैक्स असेसमेंट: फेसलेस इनकम टैक्स असेसमेंट का अर्थ यह है कि करदाता और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी का आमना-सामना न हो। का मतलब टैक्सपेयर कौन है और आयकर अधिकारी कौन है, उससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए। पहले शहर का ही आयकर विभाग छानबीन करता था, लेकिन अब किसी भी राज्य या शहर का अधिकारी कहीं की भी जांच कर सकता है। ये सब भी कंप्यूटर से तय होगा कि कौन सा टैक्स असेसमें कौन करेगा। यहां तक कि असेसमेंट से निकला रिव्यू भी किस अधिकारी के पास जाएगा, ये किसी को पता नहीं होगा।

ऐसे मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी बात: यूं तो इनकम टैक्स अपील के मामलों की सुनवाई पूरी तरह से फेसलेस होगी, लेकिन कुछ मामलों में सीनियर अधिकारी की अनुमति से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की जा सकती है। कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स के फैसले के खिलाफ इनकम टैक्स अपीली ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल की जा सकती है। इसके बाद मामले उच्च न्यायालय और भी सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।