कोरोना वायरस के संकट के चलते राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में इजाफे का रुख किया है। सरकार ने मंगलवार रात को पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी। इस फैसले से सरकार को 1.6 लाख करोड़ रुपये की कमाई होगी। हालांकि इसका असर आम लोगों पर नहीं पड़ेगा, लेकिन इस फैसले से अर्थव्यवस्था में मांग में कमी देखने को मिल सकती है। दरअसल एक बड़े तबके को यह उम्मीद थी कि सरकार कच्चे तेल में बड़ी गिरावट का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई एक्सपर्ट्स का कहना था कि यदि पेट्रोल और डीजल की कीमतें गिरती हैं तो मांग में तेजी देखने को मिलेगी और इससे अर्थव्यवस्था को ग्रोथ मिलेगी।

बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मांग नहीं होने के कारण पिछले महीने ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 18.10 बैरल प्रति डॉलर के लेवल तक पहुंच गई थी। यही नहीं अमेरिकी कच्चा तेल तो माइनस 40 डॉलर प्रति बैरल के लेवल तक गिर गया था। खाड़ी युद्ध के बाद यह पहला मौका है, जब दुनिया भर में क्रूड ऑयल में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।

सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में बताया कि पेट्रोल पर 10 रुपए बढ़ाए गए टैक्स में से 8 रुपए रोड और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस में जाएंगे। वहीं, 2 रुपए स्पेशल एक्साइज ड्यूटी के तौर पर वसूले जाएंगे। इसी तरह डीजल पर 13 रुपए टैक्स वृद्धि की गई है। इसमें से 8 रुपए प्रति लीटर रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस और 5 रुपए अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी खाते में जाएंगे।

इससे पहले दिल्ली सरकार ने भी पेट्रोल में 1.67 रुपये और डीजल में 7.10 रुपये बढ़ाने का फैसला लिया था। फिलहाल दिल्ली में डीजल की नई कीमत 69.39 रुपये प्रति लीटर है जो पहले 62.29 रुपये प्रति लीटर थी. पेट्रोल का भाव 71.26 रुपये लीटर हो गया है। पिछले ही दिनों इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्य़ू में ब्रूकिंग्स इंडिया के चेयरमैन विक्रम एस. मेहता ने कहा था कि यदि मांग में इजाफा करना है तो फिर सरकार को क्रूड ऑयल में कमी का लाभ जनता तक पहुंचाना चाहिए।

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