देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इलेक्ट्रिक वाहन न सिर्फ पर्यायवरण के लिए लाभदायक है बल्कि वाहन मालिकों को भी पैसो की बड़ी बचत करा रहे हैं। यही कारण है कि इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री में तेज वृद्धि देखने को मिली है। फेडरेशन ऑफ़ डीलर्स एसोसिएशन के आकंड़ों के अनुसार देश में पिछले एक साल में चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग 296 फीसदी बढ़कर 2352 और दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग 433 फीसदी बढ़कर 32,433 हो गई है।
नए इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में आए: इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनियां भी लगातार नए वाहनों को बाजार में उतार रहे हैं। चार पहिया वाहन कंपनियों में टाटा, महिंद्रा, ह्युंडई, एमजी और दो पहिया वाहन कंपनियों में हीरो,बजाज,ओला,एथर टीवीएस जैसी इलेक्ट्रिक वाहन उतार चुकी है। इसके अलावा कई बाकी की कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने की तैयारी कर रही है।
इन कारणों से बढ़ी इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग: क्रिसिल रिसर्च (Crisil Research) के हेमल ठक्कर के मुताबिक महंगे पेट्रोल- डीजल की कीमत बढ़ने के कारण देश में विशेषकर दो पहिया और चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बजट में आई केंद्र सरकार की बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के कारण, देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के ग्राहकों की संख्या को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
देश में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या में वृद्धि भी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में इजाफे का कारण है। विद्युत मंत्रालय के मुताबिक पिछले 4 महीने में दिल्ली, मुंबई,चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, सूरत, पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 2.5 गुना बढ़ी है। इसके अलावा सरकार ने तेल वितरक कंपनियों को 22 हजार इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन लगाने का लक्ष्य दिया है।
सेमीकंडक्टर की कमी: वाहनों को बनाने के लिए बड़ी संख्या में सेमीकंडक्टर का उपयोग होता है पिछले दो साल के दौरान कोरोना मांग बढ़ने और फिर रूस यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे माल की आपूर्ति रूस से बाधित होने के कारण कार उद्योग के सामने मांग पूरी करने का संकट खड़ा हो गया है। बता दें पिछले दो साल से सेमीकंडक्टर की कमी के कारण बड़ी ऑटो कंपनियों को अपने उत्पादन को भी घटाना पड़ा है।