प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक कथित बैंक रिण धोखाधड़ी मामले में विजय माल्या के खिलाफ धन शोधन की जांच के संबंध में भारत ब्रिटेन आपसी विधि सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत माल्या के प्रत्यर्पण का नया आग्रह कर सकता है। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी माल्या के खिलाफ मुंबई की एक अदालत द्वारा जारी गैरजमानती वारंट के निष्पादन के लिए जल्द की विदेश मंत्रालय के सामने आग्रह रख सकती है जिसमें एक भगोड़े के खिलाफ दोनों देशों के बीच वर्ष 1992 में हस्ताक्षरित एमएलएटी के निष्पादन का अनुरोध किया गया।

भारत ब्रिटेन एमएलएटी में एक उपबंध है जो कहता है कि एक आपराधिक जांच मामले में संधि का प्रयोग किया जा सकता है जिसमें जांच में मदद या साक्ष्य देने के उद्देश्य से हिरासत में मौजूद लोगों सहित अन्य को स्थानान्तरित करने की व्यवस्था हो सकती है। माना जाता है कि ईडी भारतीय जांच एजेंसियों की जांच के तहत देश में किसी व्यक्ति को वापस लाने के लिए इस कदम को नियमित प्रत्यर्पण कार्रवाई की तुलना में बेहतर कानूनी उपाय मानती है।

एमएलएटी के बगैर प्रत्यर्पण में एजेंसी को पहले आरोपपत्र दायर करना पड़ता है और फिर दूसरे देश से भगोड़े को वापस भेजने के लिए सूचित करना होता है और इस पूरी प्रक्रिया में समय लगता है। एजेंसी चाहती है कि माल्या 900 करोड़ रुपए के आईडीबीआई कथित रिण धोखाधड़ी जांच मामले में ‘व्यक्तिगत रूप से’ शमिल हों। एजेंसी माल्या को वापस लाने के लिए उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी करने सहित लगभग सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुकी है।