आर्थिक मंदी के कारण इन दिनों शेयर बाजार में अनिश्चित्ता का माहौल बना हुआ है। हालांकि ऐसे समय में अक्सर शेयर बाजार में निवेश फायदे का सौदा साबित होता है। उदाहरण के लिए रिलायंस कम्यूनिकेशंस के एक शेयर की कीमत इस समय 80 पैसे है। ऐसे में यदि कंपनी के अतीत के साथ वर्तमान की तुलना की जाए, तो इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में रिलायंस कम्यूनिकेशंस के शेयर में निवेश करने में कई संभावनाएं हैं।
हालांकि शेयर बाजार में निवेश करते समय किसी कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन पर भी ध्यान देना बेहद जरुरी है। उदाहरण के लिए वोडाफोन-आइडिया कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन सिर्फ 14,396 करोड़ रुपए है, वहीं टाटा मोटर्स का मार्केट कैपिटलाइजेशन सिर्फ 33,594 करोड़ रुपए है। इतने बड़े ब्रांड्स के हिसाब से दोनों ही कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन काफी कम लगता है, लेकिन यदि इन कंपनियों के कर्ज पर निगाह डाली जाए तो इसका कारण पता चलेगा।
इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, वोडाफोन-आइडिया और टाटा मोटर्स पर 31 मार्च, 2019 तक कर्ज क्रमशः 1,08,524 करोड़ रुपए और 91,124 करोड़ रुपए है। ऐसे में इन कंपनियों का कर्ज इन कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन के मुकाबले बहुत ज्यादा है, ऐसे में इन कंपनियों के शेयरों में निवेश शायद उतना फलदायी साबित नहीं होगा।
खबर के अनुसार, इक्विटी फंड्स, क्वांटम म्युचुअल फंड के हेड अतुल कुमार का कहना है कि आर्थिक मंदी के दौर में ज्यादा कर्ज वाली कंपनियों की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है और उन्हें सर्वाइव करना मुश्किल हो जाता है। बता दें कि जिन कंपनियों पर उनके मार्केट कैपिटलाइजेशन से ज्यादा कर्ज है, उनमें अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस पॉवर भी शामिल है।
बता दें कि जयप्रकाश एसोसिएट्स का मार्केट कैपिटलाइजेशन 506 करोड़ रुपए है, जबकि उस पर कर्ज 25,718 करोड़ है, जो कि कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन के मुकाबले 51 गुना ज्यादा है। इसी तरह रिलायंस पॉवर का मार्केट कैप 881 करोड़ और कंपनी पर कर्ज 27,030 करोड़ रुपए होगा और यह मार्केट कैपिटलाइजेशन का 31 गुना ज्यादा है। इसी तरह रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर उसके मार्केट कैप 1,124 करोड़ के मुकाबले 14 गुना ज्यादा 15,860 करोड़ रुपए का कर्ज है।
जेट एयरवेज पर उसके मार्केट कैपिटलाइजेशन 411 करोड़ के मुकाबले 5295 करोड़ रुपए का कर्ज है, जो कि 13 गुना ज्यादा है। वोडाफोन आइडिया का मार्केट कैप 15,862 करोड़ है, वहीं कंपनी का कर्ज इसके 7 गुना ज्यादा 1,08,524 करोड़ रुपए है।