सरकार ने पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए शुक्रवार (9 सितंबर) को कहा कि उसकी योजना 2022 तक कच्चे तेल का आयात 10 प्रतिशत कम करने की है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को यहां सरकार के इस मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने और घरेलू स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों को रेखांकित किया। प्रधान ने यहां खोजे गए 65 करोड़ बैरल भंडार वाले तेल एवं गैस क्षेत्रों के लिए रोड शो की शुरुआत के मौके पर एशिया के तेल एवं गैस उद्योग के कार्यकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह देश की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’

इन क्षेत्रों को उत्खनन के लिए पेश किया जाना है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि सरकार 2022 तक कच्चे तेल का आयात 10 प्रतिशत घटाने का इरादा रखती है। देश की कुल कच्चे तेल की खपत का 70 से 75 प्रतिशत आयात किया जाता है। कच्चे तेल का घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य के लिए सरकार ने नई नीति हाइड्रोकार्बन खोज एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्प) की घोषणा की है। प्रधान ने कहा कि हेल्प एक बाजार आधारित नीति की रूपरेखा है जो इस क्षेत्र के कारोबारियों को परिचालन में लचीलापन प्रदान करती है। यह प्रणाली को अधिक दक्ष और प्रभावी बनाती है।

भारत खोज एवं उत्पादन क्षेत्र में अधिक उद्यमशीलता वाले उपक्रमों को लाना चाहता है। साथ ही वह क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को लाना चाहता है जिससे ऊर्जा उत्पादकों का औद्योगिकीकरण हो सके। प्रधान ने यह भी कहा कि भारतीय उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने वैश्विक खिलाड़ियों के लिए बिना नियमन वाले बाजार के जरिए पारदर्शी नीतियां पेश की है, जिससे वे रिफाइनरी और पेट्रोरसायन संयंत्रों में निवेश कर सकें।