Delhi Model, AAP govt’s financial health changed in 10 years: आम आदमी पार्टी साल 2015 से दिल्ली की सत्ता पर राज कर रही है। और पिछले 10 सालों में यह सरकार अपने रेवेन्यू को सरप्लस रखने में कामयाब रही है। बता दें कि अन्य राज्यों की सरकार अपने राजस्व को सरप्लस नहीं कर पाई हैं। खास बात है कि दिल्ली सरकार ने अपने कार्यकाल में स्वास्थ्य (Healthcare), शिक्षा (Education) और सब्सिडी पर जमकर पैसा खर्च करने क बावजूद यह मुकाम हासिल किया है।

आम आदमी सरकार ने अपने पहले बजट में शिक्षा पर होने वाला खर्च दोगुना कर दिया था और स्वास्थ्य बजट को 45 फीसदी बढ़ा दिया था। साल 2015 में जब आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली में पहली बार सरकार बनाई थी तो 2015-16 के लिए कुल बजट 37,750 करोड़ रुपये था। हर साल बजट में करीब 5000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। गौर करने वाली बात है कि आप से पहले दिल्ली सरकार के बजट में 5 साल में 1.5 हजार करोड़ रुपये का सालाना इजाफा होता था। अपने लेटेस्ट बजट में आप सरकार ने 76000 करोड़ रुपये के परिव्यय का ऐलान किया था।

दिसंबर 2024 में जीएसटी कलेक्शन ने भर दी सरकार की तिजोरी, जानें क्या हैं CGST और SGST के आंकड़ें

40 फीसदी बजट हेल्थकेयर और एजुकेशन पर

स्वास्थ्य व शिक्षा पर आप सरकार अपने कुल बजट का करीब 40 फीसदी पैसा खर्च करती है। जो देश में किसी भी राज्य सरकार की तुलना में सबसे ज्यादा है।

भारत में जहां औसतन Gross domestic product (GDP) रेशियो 27.5 फीसदी है। वहीं दिल्ली में यह सिर्फ 3.9 प्रतिशत (देश में सबसे कम) है। दिल्ली की मुद्रास्फीति-समायोजित जीडीपी 2014-15 में 4.28 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-2023 में 6.26 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो 150% अधिक है।

आज से देश में लागू हुए ये 5 नए नियम, किसानों को बिना गारंटी ज्यादा लोन, कार खरीदना महंगा

‘दिल्ली मॉडल’ टर्म तब अस्तित्व में आया जब स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और सब्सिडी पर खर्च करने के बावजूद आप सरकार की वित्तीय और वित्तीय स्थिति बरकरार रही।

हालांकि, अब दरारें दिखने शुरु हो गई हैं। उदाहरण के लिए, अक्टूबर में जब AAP और BJP के बीच तकरार बढ़ी, तब भाजपा ने बताया कि दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) को 2024-25 में अपने पहले राजस्व घाटे का सामना करना पड़ सकता है।

दूसरा विवाद तब खड़ा हुआ जब AAP ने 2024-25 के लिए राष्ट्रीय लघु बचत कोष (National Small Savings Fund-NSSF) से 10,000 करोड़ रुपये उधार लेने की मांग की, जबकि विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे थे और वित्त विभाग ने आंतरिक रूप से इस पर आपत्ति जताई थी।

मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना से बढ़ेगा सरकारी खर्च

विभाग ने यह भी बताया कि यदि आप की मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना (टैक्स ना देने वाली महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये की सहायता देना) लागू की जाती है, तो सब्सिडी पर सरकारी खर्च, जो अब कुल बजट का 15% है, 20% तक बढ़ जाएगा।

वर्तमान में आप सरकार जिन तीन प्रमुख सब्सिडी पर पैसा खर्च करती है, वे हैं – महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा (लगभग 440 करोड़ रुपये), 200 यूनिट तक 100% बिजली माफी और 201 यूनिट से 400 यूनिट तक 50% (3,600 करोड़ रुपये) और एक जल सब्सिडी जिसमें प्रतिदिन 20,000 लीटर तक पानी मुफ्त प्रदान करता है और इसका खर्च 500 करोड़ रुपये है।

सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य को लेकर इन विवादों के बीच ‘आप’ ने सत्ता में लौटने पर अपने वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल का वादा किया है और महिलाओं के लिए मासिक भत्ता बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दिया है।

यहां बताते हैं पिछले 10 सालों में दिल्ली सरकार की ‘वित्तीय सेहत’ किस तरह बदली:

एनएसएसएफ लोन, केंद्र से अनुदान सहायता पर निर्भरता बढ़ी
2016-17 से 2021-22 के बीच दिल्ली सरकार को NSSF (National Small Savings Fund) से मिलने वाला लोन 2,896 करोड़ रुपये से बढ़कर करीब 11,000 करोड़ रुपये हो गया। 2019 से 2021-22 के बीच यह आंकड़ा तीन बार 10,000 करोड़ रुपये पार कर गया।

2022-23 में दिल्ली सरकार ने सिर्फ 3,721 करोड़ रुपये उधार लिए। वहीं 2023-24 में एक बार फिर सरकार ने कोई पैसा उधार नहीं लिया लेकिन NSSF से 10,000 करोड़ रुपये सरकार को मिले।

GST लागू होने से पहले दिल्ली सरकार के टैक्स रेवेन्य का सबसे बड़ा सोर्स VAT (Value Added Tax) था, जो कुल टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन का 70 प्रतिशत था। आज, इससे होने वाला रेवेन्यू सिर्फ 12-14 प्रतिशत रह गया है। 2015-16 में 20,245 करोड़ रुपये का VAT रिसीव हुआ। वहीं जीएसटी कलेक्शन 2021-22 में जाकर 22000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर पाया।

90 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स रेवेन्यू दिल्ली सरकार का अपना

एक और ट्रेंड है जिसकी वजह से केंद्र से सहायता अनुदान पर निर्भरता बढ़ी है। पिछले 10 सालों में दिल्ली सरकार द्वारा जुटाया गया 90 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स रेवेन्यू सरकार का अपना है, वहीं एनसीटी के सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में केंद्र सरकार से अनुदान तेजी से बढ़ा है।

2014-15 में, केंद्र से सहायता अनुदान (grants-in-aid) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.47% था। जहां 2015-16 में यह 0.78% था, वहीं 2016-17 में यह आंकड़ा 0.46%, 2017-18 में 0.32% और 2018-19 में 0.78% था। 2019-20 में चीजें बदलनी शुरू हुईं जब केंद्र से सहायता अनुदान सकल घरेलू उत्पाद का 1.22% हो गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 1.54% था और अगले साल यह 0.96% थी।

गिरता रेवेन्यू सरप्लस
2014-15 में सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के तौर पर रेवेन्यू सरप्लस 1.23% था। अगले साल यह बढ़कर 1.56% हो गया। तब से, यह लगातार गिरता जा रहा है और पहली बार इसके निगेटिव होने की संभावना है।

2016-17 में दिल्ली का रेवेन्यू सरप्लस 0.85% था, वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा 0.72%, 2018-19 में 0.85% और 2019-20 में 0.95% था। 2020-21 में, यह सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 0.19% था – AAP सरकार के तहत सबसे कम रहा। अगले साल यह आंशिक रूप से वापस बढ़कर 0.37% हो गया। वहीं, सरकार का राजस्व व्यय आठ सालों में दोगुना हो गया – 2014-15 में लगभग 23,500 करोड़ रुपये से 2021-22 में 46,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया।

दिल्ली सरकार के बजट का 40 फीसदी खर्च हेल्थकेयर और एजुकेशन पर
आम आदमी पार्ट की राजस्व जुटाने की क्षमता पिछले 10 सालों में प्रभावित हुई है और उसके सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में कर राजस्व में गिरावट से यह साफ जाहिर है। 2014-15 में, कर राजस्व दिल्ली के सकल घरेलू उत्पाद का 5.38% था। 2017-18 तक यह आंकड़ा 5.05% से बढ़कर 5.49% हो गया। 2018-19 में यह पहली बार 5% (4.96%) से नीचे गिर गया। इसके नीचे की ओर जाने का सिलसिला अगले अगले सालों में भी जारी रहा।

2020-21 में, यह घटकर 3.95% हो गई, जो अगले वर्ष बढ़कर 4.54% हो गई – जो अभी भी 2014-15 से एक प्रतिशत अंक कम और भारतीय औसत 6.27% से लगभग 2 प्रतिशत अंक कम है।

2014-15 में 26,600 करोड़ रुपये से थोड़ा अधक कर राजस्व (टैक्स रेवेन्यू) जुटाया गया। 2021-22 तक यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़कर 40,018 करोड़ रुपये हो गया – बजट साइज में सालाना औसतन 1,916 करोड़ रुपये की तुलना में 5,000 करोड़ रुपये की सालाना बढ़ोत्तरी हुई।