नई दिल्ली। कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले से जुड़े मामलों की यहां सुनवायी कर रही विशेष अदालत ने एक मामले में सीबीआई को आगे और जांच करने का आज निर्देश दिया जबकि जांच एजेंसी ने इस मामले एक क्लोजर रपट दाखिल कर दी थी।
यह मामला विकास मेटल्स एण्ड पावर लिमिटेड और इसके अधिकारियों से संबंधित है। सीबीआई इस मामले में जांच बंद करने के पक्ष में थी। अदालत ने सीबीआई को इस मामले की जांच में आगे की प्रगति रपट पेश करे को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की गई है।
विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने कहा ‘‘आपराधिक दंड संहिता के प्रावधानों के तहत आगे जांच के लिए इस मामले को सीबीआई के पास भेज दिया गया है। इस आदेश की प्रति सीबीआई के निदेशक और सीबीआई के उन सभी उप महानिरीक्षकों को भेज दी जाए कोयला ब्लाक आवंटन के मामलों की जांच की निगरानी कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा ‘‘जांच की प्रगति रपट पेश करने के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की गई है।’’
अदालत ने जांच अधिकारी (आईओ) राजबीर सिंह से यह भी कहा कि आगे की जांच रपट विस्तृत होनी चाहिए और उसमें जांच के निष्कर्षों का पूरा औचित्य बताया जाना चाहिए।
न्यायाधीश ने कहा ‘‘मुझे उम्मीद है कि आप अदालत के पूर्व आदेश के मुताबिक जांच करेंगे और यदि आपके निष्कर्ष अलग हैं तो इसकी विस्तृत वजह बाताएं।’’
अदालत ने 30 सितंबर को हुई आखिरी सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिकारियों की कोयला ब्लाक आवंटन घोटाला मामले की जांच के तरीके की खिंचाई की थी और कहा कि एजेंसी के अधिकारियों को जांच कला की प्राथमिक जानकारी का ही अभाव है।
अदालत ने सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा और सभी संबद्ध उपमहानिरीक्षक को आदेश दिया था कि वे व्यक्तिगत तौर पर इस मामले को देखें और ऐसा न करने की स्थिति में वे इसके जिम्मेदार होंगे।
अदालत का यह भी मानना है कि एजेंसी के अधिकारी उससे कुछ दस्तावेज छुपा रहे हैं जिसकी वजह वे ही बेहतर जानते हैं और यहां तक कि मामले की जांच के दौरान दर्ज गवाहों के बयान भी उसके सामने पेश नहीं किए गए।
न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई के अधिकारी इस जांच में अपराध प्रक्रिया संहिता की मूल बातों और यहां तक की अपने जांच मैनुअल का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। अदालत के बार बार कहने के बावजूद सीबीआई के अधिकारी उस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सीबीआई ने विकास मेटल्स एण्ड पावर के खिलाफ मामला सितंबर 2012 में दर्ज किया था जिसमें कहा गया था कि कंपनी ने आवंटन के लिए गलत दावे प्रस्तुत किए थे। इसमें कंपनी के वरिष्ठ निदेशकों को भी नामजद किया गया था। सीबीआई ने कहा कि कंपनी का यह दावा गलत था कि बिहार क्षत्र विकास प्राधिकरण ने उसे बेगूसराय में 300 एकड़ जमीन आवंटित कर रखी है। एजेंसी ने पाया कि जमीन का आवंटन रद्द हो चुका था और कंपनी के निदेशकों ने कोयला ब्लाक आवंटन के आवेदनों की जांच करने वाली स्क्रीनिंग समिति को उसकी सूचना नहीं दी।