चीनी ऐप TikTok को भारत सरकार की ओर से लगाए गए बैन को कोर्ट में चुनौती देने के लिए वकील की तलाश करने में पसीने छूट रहे हैं। देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के बाद कांग्रेस के सीनियर लीडर और नामी वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी सुप्रीम कोर्ट में टिकटॉक की पैरवी करने से इनकार कर दिया है। सिंघवी ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि उन्होंने एक साल पहले चीनी ऐप के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा था और जीत भी दिलाई थी। सिंघवी ने कहा, ‘मैं टिकटॉक के लिए केस नहीं लड़ूंगा। एक साल पहले मैंने टिकटॉक का केस अपने हाथ में लिया था और जीत दिलाई थी, लेकिन इस बार ऐसा कोई इरादा नहीं है।’

इससे पहले पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने टिकटॉक के केस को लड़ने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि वे टिकटॉक की पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के फैसले के खिलाफ दलीलें नहीं देंगे। इस बीच सीनियर एडवोकेट अमन सिंह ने भी ट्वीट कर कहा है कि उनके एक जूनियर वकील के जरिए कंपनी ने मामले की पैरवी के लिए संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। नामी वकीलों की ओर से टिकटॉक का केस न लेने के बाद अब कंपनी के लिए मुकदमे की पैरवी करना तक मुश्किल हो रहा है, जो केंद्र सरकार को कोर्ट में ले जाने की तैयारी में थी।

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से टिकटॉक और यूसी ब्राउजर समेत चीन के 59 ऐप्स पर बैन के बाद टिकटॉक ने मुंबई की एक लॉ फर्म से संपर्क साधा था और कानूनी विकल्पों को लेकर सलाह ली थी। सूत्रों का कहना है कि टिकटॉक सुप्रीम कोर्ट में यह दलील देने पर विचार कर रहा है कि आखिर उसे बिना नोटिस दिए और सफाई का मौका दिए बिना बैन कैसे लगा दिया गया। इसके अलावा टिकटॉक यह भी जानना चाहता है कि भारत सरकार ने उस पर बैन लगाने के लिए तय प्रक्रिया का पालन किया था या नहीं।

बता दें कि केंद्र सरकार ने यह कहते हुए चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगाया है कि ये भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हैं। एक बयान में सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय ने कहा था कि इन कंपनियों के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं, जिनमें कहा गया है कि ये मोबाइल ऐप्स जानकारियां चुरा रहे हैं और यूजर डेटा को गलत ढंग से भारत से बाहर भेज रहे हैं।