देश में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस समय देश की राजधानी में सबसे ज्यादा वाहन हैं। जिसके चलते दिल्ली एनसीआर में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। लोगों द्वारा ज्यादा कार खरीदने की इस प्रवृति को रोकने के लिए, उच्चतम न्यायालय और पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) ने कारों की संख्या को कम करने के लिए योजनाओं की सिफारिश की है। इस योजना के अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त ईपीसीए ने आवासीय क्षेत्रों में अतिरिक्त कारों की पार्किंग के लिए उच्च दरों को लागू करने की बात कही है।
इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कुछ वेलफेयर एसोसिएशन पहले भी इस तरह के उपाय लागू कर चुके हैं। इस समय देश की राजधानी में तकरीबन 35 लाख रजिस्टर्ड वाहन है और प्रतिदिन औसतन 500 से ज्यादा वाहनों का रजिस्ट्रेशन होता है। दिल्ली में कई आवासीय क्षेत्रों, ग्रीन एरिया और पैडेस्ट्रीयन वॉकवे के पास कार पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
EPCA ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा, “आवासीय पार्किंग के लिए मूल्य निर्धारण स्थानीय एजेंसी, RWA, दुकानदार एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए, लेकिन अतिरिक्त कारों के लिए उच्च दर चार्ज करने के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए।”
प्रस्तावित नीति में कहा गया है कि आवासीय क्षेत्रों में केवल निर्धारित सार्वजनिक जगहों पर ही पार्किंग की अनुमति दी जानी चाहिए, भले ही किसी व्यक्ति के पास केवल एक कार हो। सरकार ने, हालांकि, सुझाव दिया है कि लोगों को आवासीय क्षेत्रों में पार्किंग के लिए भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, कारों के मामले में भी ‘हम दो हमारे दो’ की नीति को लागू किया जाना चाहिए। ताकि लोग ज्यादा कार न खरीदें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को रहने लायक बनाने के लिए कारों और अन्य वाहनों की संख्या में कमी लाई जानी चाहिए। आपको बता दें कि, फिलहाल इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और यदि इसे प्रक्रिया में लाया गया तो एक से ज्यादा कार रखने वालों को पार्किंग के लिए ज्यादा भुगतान करना होगा।