देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज का तेजी से विस्तार हो रहा है लेकिन इसमें सबसे ज्यादा डिमांड टू व्हीलर की है जिन्हें आसानी से घर पर चार्ज किया जा सकता है। लेकिन इलेक्ट्रिक कारों को खरीदने वालों की संख्या अभी भी काफी कम बनी हुई है।

जिसकी वजह है इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग खत्म हो जाने पर चार्जिंग स्टेशन या बैटरी स्वैपिंग स्टेशन का सही इंतजाम नहीं होना जिसके चलते लोग अभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने में हाथ खींच रहे हैं।

लोगों की इसी परेशानी को देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किए गए आम बजट के दौरान देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नई बैटरी स्वैपिंग नीति की घोषणा की थी जो जिसे अब अमल में लाने की तैयारियां अपने आखिरी चरण में हैं।

जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय वित्त मंत्री ने जिस बैटरी स्वैपिंग नीति को बनाने की घोषणा की थी उसे सरकार लागू करने वाली है जिसे नीति आयोग अगले तीन महीने में शुरू करने वाला है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा बैटरी स्वैपिंग नीति की घोषणा के बाद नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा था कि इस बैटरी स्वैपिंग नीति को अगले चार महीने के अंदर शुरू कर दिया जाएगा।

बैटरी स्वैपिंग के पहले चरण में इसका लक्ष्य हल्के इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग जरूरत को पूरा करना होगा जिसमें इन वाहनों की बैटरी स्पैविंग स्टेशन तक पहुंच और उनकी चार्जिंग की संपूर्ण व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू किया जाएगा।

इस बैटरी स्वैपिंग नीति के तहत आपको चार्जिंग स्टेशन पर अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को कई घंटे तक खड़ा रखना नहीं होगा बल्कि आप इस नीति के तहत बैटरी स्वैपिंग स्टेशन पर जाकर अपनी डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज बैटरी के साथ बदल सकेंगे।

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इस बैटरी स्वैपिंग नीति का इस्तेमाल करने के न सिर्फ चार्जिंग स्टेशन पर लगने वाली भीड़ से बचा जा सकेगा बल्कि इससे समय और धन दोनों की बचत होगी जिसका सीधा फायदा इलेक्ट्रिक व्हीकल मालिक को होगा।

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इसके अलावा सरकार द्वारा लागू की जा रही बैटरी स्वैपिंग नीति का जो दूरदर्शी फायदा सामने आ रहा है वो इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में भारी कमी के रूप में देखा जा रहा है। चार्जिंग की समस्या को हल करने वाली बैटरी स्वैपिंग नीति के बाद वाहनों की निर्माण लागत काफी कम हो जाएगी।

वर्तमान में एक इलेक्ट्रिक स्कूटर या बाइक खरीदने पर जब हम उसकी पूरी कीमत के बारे में देखते हैं तो पता लगता है कि इस स्कूटर की पूरी कीमत में से 40 से 50 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ बैटरी का होता है।

बैटरी स्वैपिंग नीति आने के बाद ग्राहकों के सामने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर को बैटरी के साथ और बिना बैटरी के खरीदने का विकल्प भी मिल जाएगा जिससे उनकी जेब पर पड़ने वाला बोझ काफी कम हो जाएगा।