CAG first Report on GST’s News in Hindi: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर अपनी पहली रिपोर्ट में देश के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) ने धोखाधड़ी की आशंका जताई है। नियामक संस्था ने पूछा है कि दो साल बाद भी 2.11 लाख करोड़ रुपए का सेटलमेंट क्यों नहीं हुआ?

विस्तृत रिपोर्ट में पृष्ठ संख्या 66 पर ‘आईजीएसटी सेटलमेंट रिपोर्ट्स’ नाम के सेक्शन में कहा गया है कि इंपोर्ट्स और अपील्स जैसे कॉरसपॉन्डिंग जीएसटी मॉड्यूल्स के लागू न हो पाने की वजह से सभी आईजीएसटी (इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के सेटलमेंट संबंधी लेजर्स नहीं तैयार किए जा सके।

आगे 3.22 पैराग्राफ में साफ तौर बताया गया है कि साल 2017-18 के दौरान 2.11 लाख करोड़ रुपए के आईजीएसटी बकाए का सेटलमेंट नहीं हो सका, जिसके लिए आशिंक रूप से अधूरे आईजीएसटी लेजर जिम्मेदार थे।

दरअसल, मंगलवार (30 जुलाई, 2019) को यह रिपोर्ट संसद के निचले सदन यानी कि लोकसभा में पेश हुई थी। कैग ने इसके जरिए स्पष्ट किया है कि जीएसटी के क्रियान्वयन में कई दिक्कतें हैं।

कैग की रिपोर्ट में पृष्ठ संख्या 66 पर इस अधूरे सेटलमेंट का जिक्र है।

नियामक संस्था के मुताबिक, दखलंदाजी रहित जिस इलेक्ट्रॉनिक टैक्स सिस्टम के बारे में सोचा गया था, वह अभी तक सपना ही है। साथ ही दो साल बाद भी इनवॉइस मैचिंग से इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा भी नहीं है।

कैग रिपोर्ट बताती है कि जीएसटी व्यवस्था के स्थिर रहने पर अनुपालन ठीक होगा, पर रिटर्न फाइलिंग में गिरावट का ट्रेंड नजर आ रहा है। जिस संख्या में जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल हो रहे हैं, उसकी तुलना में जीएसटीआर-1 का आंकड़ा बेहद कम है। यह रिपोर्ट जीएसटीआर-3बी को दाखिल करने में हो रही कमियों की ओर भी इशारा करती है।

साल 2018-19 में लेखा परीक्षा के आधार पर जीएसटी संबंधी कैग के इस प्रतिवेदन में कहा गया है कि जीएसटी में कर के भुगतान और निपटान की व्यवस्था की अभिकल्पना बिलों के 100 फीसदी मिलान पर आधारित है। साथ ही यह इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देने के साथ बीजक मिलान के साथ आईजीएसटी के निपटान पर आधारित है।

रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों में अभी तक कुछ भी संभव नहीं हुआ है। बिल मिलान प्रणाली को शुरू नहीं किया गया है। प्रतिवेदन में कहा गया है कि बीजक मिलान से ही ‘इस प्रमुख कर सुधार के पूरे लाभ प्राप्त होंगे और इससे केंद्र और राज्य दोनों के कर राजस्व की रक्षा होगी तथा आईजीएसटी के उचित निपटान की ओर बढ़ा जा सकेगा।

रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी से देश भर में कर दरों के साथ पंजीकरण फार्म, प्रतिदाय और बिल के प्रारूपों में एकरूपता बढ़ी है। ई-वे बिलों ने अधिकतर मानवीय चेक पोस्ट को बदल दिया है। (पीटीआई-भाषा इन्पुट्स के साथ)