जमीन के विशाल भूखंड के अधिग्रहण और जनता और पशु के लिए भूमिगत पारपथ तैयार करने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए प्रस्तावित मुंबई-अमदाबाद बुलेट ट्रेन खंभों पर चलाई जा सकती है जिसे परियोजना की लागत में करीब 10,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है। परिवहन व बंदरगाह के अतिरिक्त प्रमुख सचिव, गौतम चटर्जी ने कहा कि खंभों पर ट्रेन चलने का मतलब है कि गलियारे के बाड़ेबंदी की जरूरत नहीं होगी ताकि लोग और पशु इस दायरे में न घुस पाएं।
उन्होंने कहा- एलिवेटेड गलियारे से, जिस पर हम विचार कर रहे हैं, विशाल भूखंड के अधिग्रहण करने, पशुओं, लोगों और गाड़ियों के लिए भूमिगत पारपथ बनाने की समस्या खत्म हो जाएगी। साथ ही पूरे गलियारे की बाड़ेबंदी की जरूरत नहीं होगी कि पशु और लोग इस दायरे में न घुस आएं। उन्होंने कहा- हालांकि इस तरीके से परियोजना की लागत 10,000 करोड़ रुपए बढ़ेगी। उन्होंने कहा- व्यवहार्यता अध्ययन के दौरान पाया गया कि गलियारे की एक शाखा का विस्तार नासिक तक नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे परियोजना लागत में और बढ़ोतरी होगी। इसके अतिरिक्त तकनीकी तौर पर भी नासिक के रास्ते ट्रेन चलाना व्यावहारिक नहीं है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुलेट ट्रेन के नासिक में हाल्ट बनाने का सुझाव दिया था और कहा था कि इससे उत्तर महाराष्ट्र क्षेत्र विशेष तौर पर आदिवासी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा।