केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर की टेलिकॉम ऑपरेटर एमटीएनएल को विलय करने के बजाय बीएसएनएल को सौंपने पर विचार कर रही है। एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों फाइनेंसियली कमजोर है। हाल ही में दोनों कंपनियों को लगभग दो साल पहले भी बेलआउट मिला है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार विलय के बजाय एमटीएनएल का संचालन बीएसएनएल को सौंपने पर विचार कर रही है।
सरकार ऐसा इसलिए कर सकती है क्योंकि विलय में एमटीएनएल को डी-लिस्ट करना होगा, जिसका मतलब है कि सरकार को एक निश्चित संख्या में शेयर वापस खरीदने होंगे।
एमटीएनएल की वित्तीय स्थिति कैसी है?
एमटीएनएल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में ₹3,303 करोड़ का बढ़ा हुआ घाटा दर्ज किया, जबकि पिछले वर्ष के दौरान यह 2,911 करोड़ था। कंपनी का राजस्व पिछले साल के 862 करोड़ रुपये से 15% गिरकर 728 करोड़ हो गया।
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसे प्राइवेट टेलिकॉम ऑपरेटरों का कस्टमर बेस बढ़ा है। लेकिन एमटीएनएल का जनवरी-मार्च 2023 में लगभग 4.66 मिलियन उपयोगकर्ताओं से घटकर इस वर्ष 4.1 मिलियन उपयोगकर्ताओं पर आ गया है। एमटीएनएल केवल दिल्ली और मुंबई में सेवाएं प्रदान करता है, लेकिन बीएसएनएल दिल्ली और मुंबई को छोड़कर पूरे भारत में सेवाएं प्रदान करता है।
पहले मोदी कैबिनेट ने विलय को दी थी मंजूरी
इससे पहले 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एमएनटीएल के बीएसएनएल के साथ विलय को मंजूरी दे दी थी। तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि एमटीएनएल, बीएसएनएल को न तो बंद किया जा रहा है और न ही विनिवेश किया जा रहा है।
इसके अलावा कैबिनेट ने घाटे में चल रही दो दूरसंचार कंपनियों एमएनटीएल और बीएसएनएल के लिए 29,937 करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज को भी मंजूरी दी थी। इस पैकेज में अगले चार वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये के सॉवरेन बांड जुटाना और 38,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण शामिल था। रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि लागत में कटौती के लिए कर्मचारियों के लिए एक आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) की पेशकश की जाएगी।