दुनिया के तमाम देशों को उपनिवेश बनाकर उन पर राज करने वाले ब्रिटेन की कोरोना के चलते हालत खस्ता हो गई है। दूसरे और पहले विश्व युद्ध से भी ज्यादा मार अर्थव्यवस्था पर कोरोना ने पहुंचाई है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अर्थव्यवस्था में भयंकर गिरावट की आशंका जताते हुए कहा है कि देश को 1706 के बाद 300 सालों में पहली बार इतनी बड़ी गिरावट का सामाना करना पड़ सकता है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने आशंका जताई है कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था इस साल की पहली छमाही में 30 फीसदी से भी ज्यादा कम हो सकती है। इसके अलावा बेरोजगारी की दर भी करीब दोगुनी हो सकती है और देश के हर 10वें शख्स को बेरोजगारी का सामना करना पड़ सकता है।
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कहा है कि यदि अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए तेजी से प्रयास नहीं किए गए तो फिर बेरोजगारों की संख्या में बड़ा इजाफा हो सकता है। हालांकि बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ग्रोथ में इजाफा होने और हालात कुछ हद तक संभलने की उम्मीद जताई है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने कहा कि लॉकडाउन में ढील देने के बाद आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं और कुछ सुधार देखने को मिल सकता है।
बैंक ने कहा है कि पूरे साल के अनुमान को देखें तो अर्थव्यवस्था में 14 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि इसके प्रभाव लंबे समय के लिए रहेंगे, लेकिन धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल सकता है। ब्रिटेन के अपने ही आंकड़ों के मुताबिक 1706 के बाद पहली बार इतनी बड़े पैमाने पर सालाना गिरावट देखने को मिलेगी।
तब स्पेन में उत्तराधिकार का युद्ध छिड़ने के बाद यूरोप की सभी महाशक्तियां बुरी तरह से प्रभावित हुई थीं और अर्थव्यवस्था में जबरदस्त गिरावट आई थी। गौरतलब है कि कोरोना के संकट के चलते भारत, चीन और अमेरिका समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। महीनों के लॉकडाउन के चलते औद्योगिक इकाइयां ठप हैं और मांग में भीषण कमी के चलते जबरदस्त मंदी का माहौल पैदा हुआ है।
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