भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने शुक्रवार को FY23 के लिए केंद्र सरकार को डिविडेंड के रूप में ₹87,416 करोड़ के ट्रांसफर को मंजूरी दी है। आरबीआई के इस कदम से भारत सरकार की राजकोषीय स्थिति में बड़ा सुधार होने की बात कही जा रही है। इस बार सरप्लस मनी पिछली बार से 188 प्रतिशत ज़्यादा है।

इस ही साल फरवरी के महीने में बजट के दौरान सरकार ने कहा था कि उसे 2023-24 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), पब्लिक सेक्टर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 17 फीसदी अधिक डिविडेंड 48,000 करोड़ रुपये की उम्मीद है। आरबीआई का यह कदम सरकार की उम्मीद से बहुत ज़्यादा है।

सरकार को भी नहीं थी इतनी उम्मीद

भारत सरकार को पिछले बार की तुलना में 188 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं थी। सरकार का अनुमान 48,000 करोड़ रुपये का था। RBI ने FY21 में सरकार को 99,126 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए था। FY2019 में 176,051 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड डिविडेंड को मंजूरी दी गयी थी। केंद्रीय बैंक ने मई 2022 में केवल 30,307 करोड़ रुपये का डिविडेंड ट्रांसफर किया था जो कि 73,948 करोड़ रुपये के बजटीय अनुमान से काफी कम था। मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में सरकार ने RBI और पब्लिक सेक्टर के वित्तीय संस्थानों से 40,953 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। आरबीआई ने मई 2022 में बोर्ड की बैठक के बाद सरकार को 30,307 करोड़ रुपये के डिविडेंड भुगतान को मंजूरी दी थी।

कैसे इतना मेहरबान RBI

आरबीआई आम तौर पर निवेश से आई हुई आय से डिविडेंड का भुगतान करता है। जानकारी के मुताबिक इस बार हुई बढ़ोतरी के पीछे की संभावना फॉरेन करेंसी सेल्स से अर्जित भारी विदेशी मुद्रा लाभ है। आरबीआई का डिविडेंड सरकार के लिए आय का एक महत्वपूर्ण सौर्स है, ऐसे में इस बार भारत सरकार को RBI के इस फैसले से बड़ी राहत मिलने वाली है।

इस बीच शुक्रवार को आरबीआई बोर्ड ने साल अप्रैल 2022-मार्च 2023 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर भी चर्चा की और FY23 के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और खातों को मंजूरी दी।