अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में परमानेंट रेजिडेंस चाहने वालों के लिए एक नया कार्ड लॉन्च किया है। ट्रंप ने ‘गोल्ड कार्ड’एक नए निवेशक वीज़ा कार्यक्रम की शुरुआत की घोषणा की है जिसे खासतौर पर दुनियाभर के रईसों को ध्यान में रखकर पेश किया है। यह नया कार्ड, मौजूदा EB-5 Visa की जगह लेगा। बता दें कि ट्रंप का यह दांव काफी रणनीतिक है क्योंकि ‘गोल्ड कार्ड’ खरीदने के लिए आवेदक को 5 मिलियन डॉलर का भुगतान करना होगा। अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए यह एक बड़ा झटका है।
क्या है ‘Gold Card’ Visa?
यूएस के राष्ट्रपति ने ‘गोल्ड कार्ड’ को मौजूदा ग्रीन कार्ड का अपग्रेडेड वर्जन बताया है। और इसे ‘green card privileges plus’ करार दिया। यह नया प्रोग्राम अगले दो हफ्ते में लॉन्च होना है और इसके जरिए अमेरिकी नागरिकता पाने की राह खुलेगी। ट्रंप ने जोर देते हुए कहा कि नए ‘गोल्ड कार्ड’ प्रोग्राम, उन धनी और कामयाब लोगों को आकर्षित करेगा जो पैसा खर्च करके, टैक्स देकर और रोजगार पैदा करके अर्थव्यवस्था में भरसक योगदान करना चाहते हैं।
नई वीजा नीति को लेकर लोगों की चिंता
आव्रजन विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि ‘गोल्ड कार्ड’ वीज़ा अमेरिका में रहने के लिए पे-टू-प्ले (pay-to-play) सिस्टम बनाता है। आलोचकों का तर्क है कि यह नीति उन कुशल पेशेवरों को दरकिनार करते हुए बहुत ज्यादा अमीरों का पक्ष लेती है जो यूएस में स्थायी निवास प्राप्त करने के लिए दशकों से कतार में इंतजार कर रहे हैं।
इंजीनियरों, डॉक्टरों और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स सहित लाखों कुशल कर्मचारियों को, खासतौर से भारत से – 50 सालों से ज्यादा समय से ग्रीन कार्ड बैकलॉग का सामना करना पड़ रहा है। ये प्रोफेशनल्स, जो पहले ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वर्कफोर्स में योगदान दे चुके हैं, उन्हें नई नीति से कोई फायदा नहीं होगा। इसके बजाय, नया ‘गोल्ड कार्ड’ बैकलॉग जरूरत को खत्म कर देता है और उन लोगों को फास्ट-ट्रैक नागरिकता प्रदान करता है जो 5 मिलियन डॉलर की भारी कीमत वहन कर सकते हैं।
पैसे पर आधारित इमिग्रेशन
मौजूदा EB-5 वीजा प्रोग्राम, US Citizenship and Immigration Services (USCIS) द्वारा मैनेज किया जाता है और यह उन निवेशकों के लिए ग्रीन कार्ड की राह खोलता है जो अमेरिका में कम से कम 10 फुल-टाइम जॉब क्रिएट करते हैं। इस कार्यक्रम के लिए वर्तमान में कम से कम 1.05 मिलियन डॉलर या इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए 800,000 डॉलर के निवेश की जरूरत है।
नए ‘गोल्ड कार्ड’ प्रोग्राम, जॉब क्रिएशन पर जोर नहीं देता है, जिसे आलोचक एक बड़ा सेटबैक मानते हैं। जबकि EB-5 वीज़ा में विशिष्ट रोजगार-आधारित आवश्यकताएं (specific employment-based requirements) थीं, ऐसा लगता है कि ‘गोल्ड कार्ड’ में जॉब मार्केट में योगदान से ज्यादा पैसे को प्राथमिकता दी गई है।
यूएस प्रशासन जहां अकसर ही मेरिट-बेस्ड सिस्टम का हिमायती रहा है, वहीं इस नई पहल से लगता है कि स्किल और योगदान से ज्यादा प्राथमिकता वित्तीय स्थिति (Financial Status) को दी जा रही है।