Ambedkar Jayanti 2020: संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की आज 129वीं जयंती है। आंबेडकर का योगदान आमतौर पर दलितों के सामाजिक और राजनीतिक उत्थान में ही माना जाता रहा है, लेकिन यह जानकारी कम ही लोगों को है कि वह बड़े आर्थिक विद्वान भी थे। यहां तक कि भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में उनका भी अहम योगदान था। एक राजनीतिक शख्सियत होने के साथ ही आंबेडकर शानदार स्कॉलर भी थे, जिनकी राजनीति से लेकर अर्थशास्त्र तक पर समान रूप से पकड़ थी। उन्होंने अपनी डॉक्टरेट की डिग्री अर्थशास्त्र में ही की थी। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की बात की जाए तो उनकी ओर से हिल्टन यंग कमिशन को दिए गए सुझावों के तहत ही इस संस्था को गठित किया गया।
हिल्टन यंग कमिशन को रॉयल कमिशन ऑन इंडियन करेंसी ऐंड फाइनेंस के नाम से भी जाना जाता था। आंबेडकर की पुस्तक ‘रुपये का संकट’ से भी हिल्टन यंग कमिशन को काफी मदद मिली थी। यही नहीं भीमराव आंबेडकर का श्रमिकों के लिए भी बड़ा योगदान था। देश में लेबर लॉ तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले भीमराव आंबेडकर के प्रयासों के चलते ही मजदूरों के लिए वर्किंग आवर्स को 12 से 8 घंटे तक किया जा सका। इसके अलावा आज प्रचलन में आए महंगाई भत्ते, लीव बेनिफिट, कर्मचारी बीमा, मेडिकल लीव, समान कार्य समान वेतन और न्यूनतम वेतन जैसी सुविधाओं को आंबेडकर के प्रयासों के चलते ही शुरू किया जा सका था।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत में किया था मजदूरों के लिए संघर्ष: इसके अलावा समय-समय पर कर्मचारियों और मजदूरों के वेतनमान में सुधार भी भीमराव आंबेडकर की ही देन थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1936 में सबसे पहले इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी नामक दल क स्थापना के साथ शुरू की थी। इसके जरिए वह मजदूरों से जुड़े मुद्दों को उठाया करते थे। इसके बाद उन्होंने 1942 में ऑल इंडिया शेड्यूल कास्ट्स फेडरेशन का गठन किया था। इसी दल का नाम बदलकर बाद में रिपब्लिकन पार्टी कर दिया गया। यही नहीं उन्होंने ही बिहार और मध्य प्रदेश के पुनर्गठन का सबसे पहले प्रस्ताव दिया था, जिसे 2000 में साकार किया जा सका, जब छत्तीसगढ़ और झारखंड का गठन हुआ।
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