योगगुरु रामदेव और उनकी पतंजलि आयुर्वेद के साथ जुड़े विवादों का चोली दामन का साथ है। इन दिनों रामदेव एलोपैथिक डॉक्टरों पर की गई टिप्पणी की वजह से चर्चा में हैं।
करीब डेढ़ दशक की छोटी अवधि में ही रामदेव के पतंजलि ब्रांड से कई विवाद जुड़ गए। हालांकि, आयुर्वेद की दुनिया में Himalaya, डाबर और बैद्यनाथ के मुकाबले पतंजलि नया ब्रांड है। डाबर करीब 135 साल पुरानी कंपनी है। इसी तरह Himalaya की 1934 में, बैद्यनाथ ग्रुप की नींव 1917 में पड़ी। कहने का मतलब ये है कि इनके मुकाबले पतंजलि नई कंपनी है।
2006 में पतंजलि की स्थापना: साल 2006 में रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की थी, जो अब मुनाफे में है। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड हेल्थ सप्लीमेंट्स, कॉस्मेटिक्स, फूड, प्रोसेस्ड फूड, बेवरेजेज और पर्सनल एंड होम केयर उत्पादों सहित हर्बल और प्राकृतिक उत्पादों का एक प्रमुख निर्माता और निर्यातक है। पतंजलि के उत्पाद कई विदेशी बाजारों में उपलब्ध हैं।
भारत के 18 राज्यों में 47000 से अधिक रिटेल काउंटर, 3500 डिस्ट्रिब्यूटर, कई गोदाम और कारखाने हैं। पतंजलि 10 हजार करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी बनने के करीब है। आने वाले कुछ सालों में पतंजलि आयुर्वेद की योजना 5 लाख लोगों को रोजगार देने की है।
पतंजलि का विस्तार: रामदेव के पतंजलि की बात करें तो करीब डेढ़ दशक में भारत के अलावा विदेशों में भी विस्तार किया है। बीजेपी शासित राज्यों में रामदेव की पतंजलि ने कई जमीन खरीदी है, जिसको लेकर विवाद भी हुआ। आंकड़े बताते हैं कि पतंजलि आयुर्वेद मुनाफे वाली कंपनी है। वित्त वर्ष 2019-20 में पतंजलि आयुर्वेद का नेट प्रॉफिट करीब 22 फीसदी बढ़कर 424.72 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
Himalaya का इतिहास: वहीं, Himalaya ग्लोबल होल्डिंग्स लिमिटेड के अधीन ड्रग कंपनी है। Himalaya ग्लोबल होल्डिंग लिमिटेड ने 100 से अधिक देशों में 500 से अधिक उत्पादों के साथ दबदबा बनाई है। इसके मुखिया मेराज मनाल हैं। वहीं कंपनी के संस्थापक एम. मनाल थे। Himalaya ने अपने सफर की शुरुआत ऐसे समय में की जब हर्बल उत्पादों को संदेह के साथ माना जाता था।
वेबसाइट के मुताबिक मनाल ने मां की चूड़ियों को गिरवी रखकर हाथ से संचालित टेबलेट मशीन खरीदी। ग्लोबल होल्डिंग्स लिमिटेड के ब्रिटेन, यूएस समेत अन्य देशों में कंपनियां हैं। साल 2016 में Himalaya के सीईओ फिलिप हेडन ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि आयुर्वेद को बढ़ावा देकर करीब 1 बिलियन डॉलर की कंपनी बनना है। (ये पढ़ें—सिर्फ 100 रुपये में खरीदें रामदेव की कंपनी का कार्ड, मिल जाएगी 5 लाख तक की बीमा)
डाबर का मार्केट कैपिटल 80 हजार करोड़: डाबर इंडिया लिमिटेड की बात करें तो 8,700 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व और 80,000 करोड़ रुपये से अधिक के मार्केट कैपिटल के साथ भारत की अग्रणी एफएमसीजी कंपनियों में से एक है। 135 से अधिक साल से काम कर रही ये कंपनी आयुर्वेद में लीडिंग है। डाबर के अलावा बैद्यनाथ आयुर्वेद की स्थापना 1917 में रामदयाल जोशी ने की थी।