देश में छोटे शहरों को हवाई परिवहन से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को रीजनल कनेक्टिविटी स्‍कीम(आरसीएस) का ड्राफ्ट जारी किया है। इस ड्राफ्ट में किराए की सीमा और नई हवाई पट्टियों के विकास का खाका भी पेश किया गया है। उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने ड्राफ्ट पेश करते हुए बताया कि छोटे शहरों के लिए प्लेन का किराया हर तीन महीने में बदलेगा। यह नीति घरेलू उड़ानों पर लागू होगी। इसके मुताबिक, 201 से 225 किमी तक का अधिकतम किराया 1770 रुपये और 776 से 800 किमी का किराया 4070 रुपये होगा। नई नीति 10 साल के लिए बनाई गई है। ड्राफ्ट पर सुझाव के लिए आखिरी तारीख 22 जुलाई है। इसके बाद एक महीने में योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।

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राजू ने बताया, ”एक प्लेन एक घंटे में औसतन 500 किलोमीटर की उड़ान भरता है, इसलिए 476 से 525 किलोमीटर तक के लिए अधिकतम किराया 2500 रुपये रखने का प्रस्‍ताव है। इसी तरह से 201 से 225 किमी तक का किराया 1770 और 776 से 800 किमी का 4070 रुपये होगा। किराए पर सर्विस टैक्स में 90% अबेटमेंट का प्लान है। यानी 10% हिस्से पर ये टैक्स लगेगा। इस नीति के तहत छोटे-मझोले शहरों के जिन एयरपोर्ट को डेवलप किया जाएगा, वहां से या वहां के लिए फ्लाइट का ही मैक्सिमम किराया तय होगा।”

राजू ने बताया कि एयरलाइंस से आरसीएस रूट के लिए बोली लगाने को कहा जाएगा। जो कंपनी सरकार से सबसे कम भरपाई की मांग करेगी उसे उस रूट पर एक्सक्लूजिव फ्लाइट ऑपरेट का राइट मिलेगा। यह अधिकार एक से लेकर तीन साल के लिए मिलेगा। इन मार्गों पर 80 सीट वाले प्‍लेन ही उड़ाए जा सकेंगे। इनमें 50 प्रतिशत सीटें ही स्‍कीम के तहत आएंगी। बाकी की सीटों पर एयरलाइंस को किराया तय करने का अधिकार होगा। ड्राफ्ट में हेलिकॉप्टरों के किराए की सीमा भी तय की गई है। यह वक्त के हिसाब से होगा। आधे घंटे तक की उड़ान का अधिकतम किराया 2500 रुपए और 56 से 60 मिनट की उड़ान का किराया 5000 रुपए करने का प्रस्‍ताव है।

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देश में हवाई अड्डों के बारे में उड्डयन मंत्री ने कहा कि 31 एयरपोर्ट तैयार हैं, लेकिन वहां पर फ्लाइट नहीं है। वहां यह से फ्लाइट तुरंत शुरू हो सकती है। वहीं 16 ऐसे एयरपोर्ट हैं जहां से हफ्ते में 7 से कम उड़ानें हैं। इनमें जामनगर, आगरा, ग्वालियर, पंतनगर और दुर्गापुर शामिल हैं। इन्‍हें भी आरसीएस के तहत विकसित किया जार सकता है। इसमें केंद्र मदद करेगा।”

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