ग्राहकों को सीधे शाखा में आकर खाते से पैसे निकालने के बजाए एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करने की बैंकों की सलाह फोकट में नहीं है। दरअसल एटीएम कार्ड के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करके बैंक एक तीर से दो शिकार कर रहे हैं। एक तरफ शाखा में ग्राहकों की भीड़ घटती है तो कम स्टाफ से भी कामकाज चलाना संभव होता है। दूसरी तरफ एटीएम के जरिए पैसा निकालने वाले ग्राहकों से बैंक अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं।
केवल भारतीय स्टेट बैंक की कमाई के आंकड़ों पर गौर करें तो किसी को भी आश्चर्य होगा। इस बैंक ने वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान एटीएम से पैसा निकालने वाले ग्राहकों से जो शुल्क वसूल किया वह 210.47 करोड़ रुपए है। अगले साल इस कमाई में और बढ़ोत्तरी हो गई। वित्तीय वर्ष 2015-16 में बैंक ने ग्राहकों से इस मद में 310.44 करोड़ रुपए वसूल कर लिए। जबकि ज्यादातर ग्राहक इसी भ्रम में हैं कि एटीएम से पैसे निकालने में कोई चार्ज नहीं लगता।
नीमच (मध्य प्रदेश) के आरटीआइ कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय स्टेट बैंक से सूचना के अधिकार के कानून के तहत एटीएम के जरिए होने वाले लेन-देन से होने वाली कमाई की जानकारी मांगी थी। खुद बैंक ने कमाई का प्रामाणिक आंकड़ा मुहैया कराया तो गौड़ हैरान रह गए। मजे की बात तो यह है कि एक नवंबर 2014 से पहले एटीएम के जरिए पैसे निकालने पर कोई चार्ज नहीं लगता था। पर अब सारे बैंकों के लिए यह मोटी कमाई का आसान जरिया बन चुका है।
गौड़ को भारतीय स्टेट बैंक के मुंबई स्थित कारपोरेट दफ्तर ने बताया कि एटीएम से होने वाले लेन-देन पर चार्ज भारतीय रिजर्व बैंक के आदेशानुसार लिया जा रहा है। हालांकि कुछ लेन-देन मुफ्त हैं। मसलन बैंक के अपने एटीएम के जरिए वर्ष में पांच बार पैसा निकालने पर कोई चार्ज नहीं लगता। यदि दूसरे बैंक के एटीएम से पैसा निकाला जाए तो मुंबई, नई दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बंगलूर और हैदराबाद में केवल तीन बार लेन-देन करने की ही छूट है। चौथे लेन-देन पर शुल्क लगता है।
ज्यादातर ग्राहकों को इस तथ्य का भी कोई ज्ञान नहीं है कि एक लेन-देन पर बैंक उनसे बीस रुपए वसूलता है। चूंकि यह सुविधा सेवा के दायरे में आती है। लिहाजा ग्राहक को इस शुल्क पर पंद्रह फीसद की दर से सर्विस टैक्स भी चुकाना पड़ता है। इस मामले में बैंकों ने अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं रखा है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर गरीबों के बैंकों में प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत जीरो बैलेंस पर खाते खोलने का जमकर प्रचार हुआ है तो दूसरी तरफ ऐसे ही ग्राहकों से एटीएम सुविधा की आड़ में अच्छी खासी कमाई करने की बैंकों की नीति उनके दोहरे रवैए का प्रमाण है।
एटीएम के जरिए लेन-देन पर ही नहीं लगभग सारे बैंक अब चेकबुक भी मुफ्त में नहीं देते। बचत खाताधारकों से भी आमतौर पर तीन से पांच रुपए प्रति चेक वसूला जा रहा है। जबकि पहले ऐसे चार्ज चालू खाता रखने वाले कारोबारियों से ही लिए जाते थे। बैंकों से ड्राफ्ट बनवाने का शुल्क भी काफी बढ़ चुका है। फिलहाल पांच रुपए प्रति हजार के हिसाब से ड्राफ्ट शुल्क लिया जा रहा है। इसमें भी न्यूनतम चार्ज की बंदिश है। यानी कम से कम पचास रुपए तो लगेंगे ही भले आप सौ रुपए का ही बैंक ड्राफ्ट क्यों न बनवाएं।