निवेशकों की ओर से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयरों में लगाए गए हर सौ रुपए पर 150 रुपए के डूबे कर्ज या गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का बोझ है। सरकारी बैंकों का डूबे कर्ज का आंकड़ा चार लाख करोड़ रुपए के पार चला गया है, जो इन कर्जदाताओं के बाजार मूल्य का डेढ़ गुना है।
इसके विपरीत निजी क्षेत्र के बैंकों का एनपीए उनकी कुल बाजार हैसियत यानी शेयर भाव के हिसाब से इन बैंकों के मूल्यांकन का 6.6 फीसद है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में ऐसे कर्ज को भी शामिल किया जाए जिन्हें आगे चलकर एनपीए घोषित किया जा सकता है, तो मुश्किल में फंसे कर्ज खातों का आकार लगभग दोगुना होकर आठ लाख करोड़ रुपए के पार चला जाएगा। निजी क्षेत्र के बैंकों में यह समस्या कम गंभीर है। उनका सकल एनपीए 46,000 करोड़ रुपए है, जो उनके कुल बाजार मूल्य से काफी कम है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए अपने बहीखाते को साफ-सुथरा करने की समय सीमा मार्च, 2017 तय की है। इसके कारण बैंकों को अपने एनपीए की घोषणा करने के अलावा सुधारात्मक उपाय करने और अपने वित्तीय बयान में उचित प्रावधान करना पड़ रहा है। बैंकिंग क्षेत्र का सकल एनपीए उनके कुल कर्ज का पांच फीसद है। घोषित और संभावित एनपीए को जोड़ दें तो कुल संकटग्रस्त परिसंपत्तियां उनके बकाया कर्ज की करीब 11 फीसद बैठती हैं।
ताजा तिमाही नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 31 दिसंबर, 2015 तक 3,93,035 करोड़ रुपए था। इनमें एसबीआइ और उसके अनुषंगी बैंक भी शामिल हैं। यह शेयर बाजार में उनकी कुल हैसियत की डेढ़ गुना है। इन बैंकों का बाजार मूल्य फिलहाल 2,62,955 करोड़ रुपए है। यह उनके एक साल पहले के 2,61,918 करोड़ रुपए के सकल एनपीए पर करीब 50 फीसद की बढ़ोतरी है।
रिजर्व बैंक के अनुसार जब किसी संपत्ति बैंक से आय होनी बंद हो जाती है तो यह बैंक की गैर निष्पादित या अवरुद्ध आस्ति (एनपीए) बन जाती है। जब किसी कर्ज पर 90 दिन से अधिक तक ब्याज की प्राप्ति नहीं होती है, तो उस खाते को एनपीए घोषित कर दिया जाता है। भारतीय स्टेट बैंक और कुछ छोटे बैंकों को छोड़कर सभी सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए उनके बाजार पूंजीकरण से अधिक है। ज्यादातर मामलों में डूबा कर्ज बैंकों के बाजार मूल्य से दोगुना है।
कुछ कर्जदाताओं का सकल एनपीए उनके बाजार मूल्यांकन से चार-पांच गुना है। दूसरी ओर ज्यादातर निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए उनके बाजार मूल्य से कम है। लेकिन उनके डूबते कर्ज में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। 31 दिसंबर, 2015 तक 16 सूचीबद्ध निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 46,271 करोड़ रुपए था। उनका बाजार मूल्य सात लाख करोड़ रुपए था। कुल मिलाकर सभी सूचीबद्ध बैंकों (सरकारी और निजी) का सकल एनपीए 4.4 लाख करोड़ रुपए है, जबकि उनका कुल बाजार मूल्यांकन 9.6 लाख करोड़ रुपए है।