अगर आपकी किसी काम में रुचि है, आप उस काम को लगन से करते हैं और हमेशा कुछ नया सीखने की कोशिश करते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलती है। आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। जिसे फूलों में रुचि थी। उन्होंने फूलों की खेती करना सीखा और आज खेती की। उन्होंने 2024 में 4 करोड़ पौधे व 1500 किलो बीज बेचे। अब उनका सालाना कारोबार 6.35 से 7.35 करोड़ रुपये का है। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी…

फूलों में रुचि के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ हैदराबाद चले गए

साल 2010 में अरूप कुमार घोष ने कॉमर्स की डिग्री का सिर्फ एक साल पूरा करने के बाद कॉलेज छोड़ दिया। उन्हें फूलों में काफी रूचि थी। इसलिए वे हैदराबाद चले गए। वहां उन्होंने गुडीमलकापुर फूल मार्केट में फूलों की एक दुकान पर काम किया। द बेटर इंडिया के साथ बातचीत में 33 वर्षीय अरूप ने बताया, “मेरा काम मैरीगोल्ड स्ट्रिंग्स और ट्यूब रोज जैसे फूलों की बिक्री में सहायता करना था।” यह काम करके वे 3,500 रुपये महीने कमा रहे थे।

उन्हें वह पता चला कि कोलाघाट से फूल हैदराबाद फूल बाजार में भेजे जा रहे हैं। उन्होंने सोचा में घर लौट सकता हूं और इस बढ़ते बिजनेस में खुद का कारोबार शुरू कर सकता हूं। कौन हैं मुकेश अंबानी के करीबी Prakash Shah?

उन्होंने अपने कारोबारी सफर की शुरूआत छोटे स्तर से की। उन्होंने कोलाघाट फूल बाजार से चमकीले गेंदे की लड़ियां खरीदीं। प्रत्येक डोरी 120 रुपये में खरीदी गई, जिसे बाद में लोकल मार्केटों में 140-150 रुपये में बेचा। हर 100 डोरी पर, उन्होंने 2,000 से 3,000 रुपये का अच्छा-खासा मुनाफा कमाया।

जैसे-जैसे महीने बीतते गए और उसका आत्मविश्वास बढ़ता गया, उसने कुछ बड़ा करने की कल्पना की। फूलों का व्यापार करने के बजाय, उन्होंने खुद ही फूल उगाने का फैसला किया।

कारोबार में पहला कदम

साल 2011 के आखिरी में अरूप ने गेंदा की खेती के साथ प्रयोग करने के लिए दो-भिगा जमीन पट्टे पर लेकर फूलों की खेती में अपना पहला कदम रखा। उन्होंने जमीन पट्टे पर लेने, पौधे खरीदने इस सब में करीब 12,000 रुपये का निवेश किया। उन्होंने बताया, “शुरू में मैंने कोलाघाट बाजार से स्थानीय गेंदे के पौधे खरीदे, लेकिन जो फूल उगे वे छोटे और घटिया किस्म के थे। वे बाजार के मानकों पर खरे नहीं उतरे और मुझे घाटा हो रहा था।”

उन्होंने हार नहीं माना, उन्होंने हाई क्वालिटी वाली मैरीगोल्ड किस्मों के बारे में जानने के लिए थाईलैंड का दौरा किया। उन्होंने बैंकॉक ब्लॉसम मार्केट में छह महीने बिताए, जहां उन्हें प्रशिक्षण मिला जिसने खेती के प्रति उनके नजरिए को बदल दिया।

अरूप पीले और नारंगी रंग की टेनिस बॉल मैरीगोल्ड किस्म के 25 ग्राम बीज लेकर आए और पट्टे पर ली गई दो बीघा जमीन पर मैरीगोल्ड की खेती शुरू कर दी। उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान का इस्तेमाल अपनी खुद की उगाई गई फसलों से बीज और पौधे तैयार करने में भी किया।

एक छोटे व्यापारी से बड़े कारोबारी तक

2012 तक, वे अच्छी क्वालिटी वाले गेंदे के फूलों की अपनी पहली सफल फसल उगाने में सफल हो गए। उन्होंने कोलाघाट बाजार में उन्हें 100 रुपये प्रति किलोग्राम में बेचा और स्थानीय किसान जल्द ही उनके पौधों के लिए उनसे संपर्क करने लगे। यही से उनके कारोबारी जीवन ने नया मोड़ लिया। जिसने उन्हें एक छोटे व्यापारी से बड़ा कारोबारी बना दिया। वे बताते है, “मैंने अपनी खेती को छह बीघा तक बढ़ाया, जहाँ मैंने टेनिस बॉल मैरीगोल्ड किस्म के बीज और पौधे दोनों का उत्पादन किया।” वे बिक्री बढ़ाने के लिए फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। कौन बना 30,000 करोड़ के कारोबार का नया चेयरमैन?

चुनौतियों से लड़ा और अनुभव से सीखा

अरूप अपने परिवार में फूलों की खेती करने वाले पहले व्यक्ति है। उन्हें अपने खेत पर फूलों की खेती करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी समस्या पानी का प्रबंधन था, खास तौर पर बारिश के मौसम के दौरान, क्योंकि ज्यादा पानी फसलों को नुकसान पहुंचा सकता था। इसके अलावा, कीट एक बड़ी चुनौती थे, लेकिन किसान ने दृढ़ संकल्प के साथ इन समस्या का सामना किया। अरूप कहते हैं, ” हानिकारक रसायनों पर निर्भर रहने के बजाय , मैं नीम का तेल, गाय के गोबर की खाद का इस्तेमाल करता हूँ।” “ये तरीके पौधों और पर्यावरण के लिए सौम्य हैं, जो फसलों को नुकसान पहुँचाए बिना कीटों को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।”

एक और चुनौती थी बढ़ते कारोबार को संभालने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना। वे बताते हैं, “गेंदा उगाने का सही तरीका सिखाने में समय लगता था।” “मैं एक बार में 10 कर्मचारियों को प्रशिक्षित करता था और वे दूसरों के साथ प्रशिक्षित करते थे, जिससे यह सुनिश्चित होता था कि कौशल फैलेगा और कारोबार मजबूत होगा।”

अरूप ने 2024 में बेचे करीब 4 करोड़ पौधे

द बेटर इंडिया की एक खबर के अनुसार, आज अरूप का खेत 73 बीघा (लगभग 29.2 एकड़) में फैला हुआ है, जहां वे विभिन्न प्रकार के गेंदे के फूल की खेती करते हैं। उन्होंने 2024 में करीब 4 करोड़ पौधे और 1500 किलो गेंदे के बीज बेचे। वे कहते हैं, “सबसे ज्यादा फसल के महीनों में, मेरे खेत में रोज़ाना 800 से 1000 किलो गेंदे के फूल आते हैं, जिन्हें हैदराबाद, कोलाघाट और हावड़ा के थोक मार्केटों में बेचा जाता है।” “फसल के 3-5 महीनों के दौरान सिर्फ फूलों से ही 1-2 करोड़ रुपए की कमाई होती है।”

आज अरूप को खेत से 6.35 करोड़ रुपये से 7.35 करोड़ रुपये की कमाई होती है। इससे उनकी महीने की कमाई करीब 50 लाख रुपये है। वह कहते हैं, “अब यह एक बड़ा काम है, जिसमें 80 कर्मचारी रोपण, कटाई और खेत की देखभाल में मदद करते हैं।”