संसद के आगामी मॉनसून सत्र में जीएसटी विधेयक पारित होने का विश्वास व्यक्त करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार (16 मई) को कहा कि द्रमुक और राकांपा जैसे संप्रग के घटक दल समेत क्षेत्रीय पार्टियां सुधारों से जुड़े इस महत्वपूर्ण विधेयक के पक्ष में हैं। इंडियन वुमन प्रेस कोर में जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि सैद्धांतिक रूप से इसको लेकर कहीं मतभेद नहीं है। कांग्रेस के लिए भी इसके विपरीत विचार रखना कठिन होगा क्योंकि अगर आम सहमति नहीं बनेगी तब केवल एक विकल्प मत विभाजन का बचता है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘मुझे समुचित विश्वास है क्योंकि कांग्रेस समेत हर राजनीतिक दल इसके पक्ष में है। कांग्रेस पार्टी को तो इसका अधिक सक्रियता से समर्थन करना चाहिए क्योंकि वह इसके मूल विचार उसी का रहा है।’ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है और कांग्रेस के विरोध के कारण यह राज्यसभा में अटका हुआ है।

उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक को छोड़ हर क्षेत्रीय दल जीएसटी का समर्थन कर रहा है। जदयू, सपा, बसपा, बीजद, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक जैसे दल जीएसटी के समर्थन में हैं। जेटली ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है… कांग्रेस अपने रुख पर फिर से विचार करेगी। मैं उनके साथ विचार विमर्श करूंगा। मैंने हमेशा कहा है कि आमसहमति बननी चाहिए क्योंकि सभी राज्य सरकारें इसके समर्थन में है और इसलिए आम सहमति बेहतर रास्ता है।’

जेटली ने कहा, ‘और मुझे उम्मीद है कि इस दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। अगर आमसहमति नहीं बनती है तब एकमात्र रास्ता संसदीय प्रक्रिया का बचता है। हम राज्यसभा को इस बारे में कहेंगे और इस पर विचार करेंगे।’ वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की जिनमें संप्रग और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं और वे इसका समर्थन करते हैं।

कांग्रेस जीएसटी विधेयक का वर्तमान स्वरूप में विरोध कर रही है और यह मांग कर रही है कि इस संविधान संशोधन विधेयक में जीएसटी दर की सीमा तय की जानी चाहिये। दो अन्य मांगों में अंतर राज्यीय वस्तु हस्तांतरण पर प्रस्तावित एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को हटाने और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व में विवाद निपटारा पैनल बनाया जाना शामिल है।

जेटली ने कहा कि अंतर राज्यीय कर के अलावा जीएसटी विधेयक का स्वरूप वही है जिसका प्रस्ताव संप्रग ने किया था। उन्होंने माल के अंतरराज्यीय आवागमन पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर के मुद्दे पर विचार करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘और इसलिए इस बारे में विश्लेषण किया जाना चाहिए। संसद की स्थायी समिति इसे मंजूरी दे चुकी है, राज्यसभा की प्रवर समिति ने एक प्रतिशत कर के प्रावधान को छोड़कर इसे मंजूरी दे दी है।’