केंद्र सरकार ने औद्योगिक मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की घोषणा कर दी है और इसके साथ ही इसके बेस ईयर को भी 2001 की बजाय 2016 कर दिया है। हालांकि इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इससे केंद्रीय कर्मचारियों के डीए या फिर मजदूरों के वेतनमान में कोई बढ़त नहीं होगी। बता दें कि यह चर्चाएं चल रही थीं कि कन्जयूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स का बेस ईयर बदलने से डीए में इजाफा हो जाएगा। बता दें कि इसके अनुसार ही केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते और औद्योगिक मजदूरों की सैलरी तय की जाती है। यह इंडेक्स आमतौर पर हर 5 साल में बदलने की परंपरा रही है, लेकिन 2001 से ही इसके बेस ईयर में बदलाव नहीं हुआ था।
अगस्त महीने में औद्योगिक मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 338 रहा है। पिछले इंडेक्स के मुताबिक अगस्त में 117.4 और सितंबर में 118 था। इस बीच इंडेक्स के बेस ईयर में बदलाव से केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में इजाफे की चर्चाओं को विराम देते हुए लेबर ब्यूरो के डीजी डीपीएस नेगी ने कहा कि इसका डीए पर कोई असर नहीं होगा।
इंडेक्स रिलीज करते हुए श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि नए इंडेक्स के तहत अभी न्यूनतम वेतन और रिटेल प्राइस की महंगाई तय करना बाकी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल अगस्त तक ऐग्रिकल्चर और ग्रामीण लेबर के बेस ईयर में भी बदलाव किया जाएगा। फिलहाल कृषि और ग्रमीण श्रमिकों के लिए बेस ईयर 1986-87 ही चल रहा है।
बता दें कि इससे पहले भी केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने उन रिपोर्ट्स को खारिज किया था, जिसमें इसके जरिए केंद्रीय कर्मचारियों के डीए और औद्योगिक श्रमिकों के वेतन में इजाफा होने की बात कही गई थी। नए कन्जयूमर प्राइस इंडेक्स के तहत सरकार ने हेल्थकेयर, एजुकेशन, ट्रांसपोर्ट, अर्बन हाउसिंग और मोबाइल फोन पर खर्च को भी शामिल किया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने फिलहाल केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में इजाफे पर 30 जून, 2021 तक के लिए रोक लगा रखी है। बता दें कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने जनवरी 2020 से बढ़े केंद्रीय कर्मचारियों के डीए के भुगतान पर रोक लगा दी थी। इसके बाद यूपी, तमिलनाडु, केरल समेत कई राज्यों की सरकारों ने भी इस तरह का फैसला लिया है।