देश के 25 श्रम कानूनों का विलय अब 3 नियमों में हो गया है। बुधवार को राज्यसभा से मोदी सरकार की ओर से पेश ऑपरेशन सेफ्टी हेल्थ ऐंड वर्किंक कंडीशंस कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड और इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड विधेयकों को मंजूरी मिल गई। इससे पहले मंगलवार को लोकसभा से इन विधेयकों को पारित कराया जा चुका था। इन नियमों के तहत अब कंपनियों के लिए कर्मचारियों की हायरिंग और फायरिंग करना आसान होगा। इसके अलावा अब कर्मचारी यूनियनों की ओर से हड़ताल का आयोजन मुश्किल होगा। यही नहीं इन नियमों में फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट यानी कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स को बढ़ावा दिया गया है। ट्रेड यूनियनों के असर को कम करने का प्रयास किया गया है, जबकि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा के दायरे को बढ़ाया गया है। इसके अलावा संगठित उद्योग के कर्मचारियों के लिए अपॉइंटमेंट लेटर अनिवार्य होना एक अच्छा कदम है।

इनके अलावा केंद्र सरकार अगस्त, 2019 में ही वेज कोड को पारित करा चुकी है। इस तरह से कर्मचारियों से जुड़े 29 केंद्रीय कानूनों की जगह अब सिर्फ 4 नियम होंगे। सरकार का कहना है कि इंडस्ट्री नियमों में बदलाव की लंबे समय से मांग कर रही थी और इससे कारोबारी माहौल सुगम होगा। नए नियमों में जिन पुराने कानूनों का विलय होगा, उनमें फैक्ट्रीज ऐक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट ऐक्ट, ट्रेड यूनियन ऐक्ट, माइन्स ऐक्ट, ईपीएफ ऐक्ट और ईएसआईसी ऐक्टजैसे नियम शामिल हैं।

इन नए नियमों से भले ही मजदूर संगठनों की गहरी असहमति है, लेकिन इंडस्ट्री के बड़े वर्ग ने इसका स्वागत किया है। मजदूर संगठनों ने नए श्रम कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है। आरएसएस से ही जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड पूरी तरह से कंपनी के पक्ष में झुकाव रखता है और इससे औद्योगिक शांति पर विपरीत असर पड़ेगा। मजदूर संघ के महासचिव बृजेश उपाध्याय ने हायरिंग और फायरिंग के नियमों में ढील को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि नए नियमों में श्रम मामलों की संसदीय समिति की सिफारिशों को खारिज किया गया है। सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियन ने इन नियमों का विरोध करते हुए कहा है कि अब श्रमिक सड़कों पर अपनी लड़ाई लड़ेंगे। अब वर्कस्पेस पर शांति भंग होगी क्योंकि नए नियम नियोक्ता की ओर झुकाव रखते हैं।

राज्यों को छूट पर भी है ऐतराज: नए नियमों को लेकर इसलिए भी विरोध तेज है क्योंकि इनमें राज्यों को किसी नियम को लागू न करने की भी छूट दी गई है। बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों ने श्रम कानूनों में बड़े बदलाव किए हैं। इन राज्यों का कहना है कि कोरोना काल में नए निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐसा फैसला लिया गया है। राज्यों को यह छूट भी इन नियमों के विरोध की बड़ी वजह है।

पीएम मोदी बोले, आर्थिक ग्रोथ को मिलेगी गति: इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने इन नए श्रम कानूनों को आर्थिक ग्रोथ के लिए मददगार बताया है। पीएम ने कहा कि ये भविष्य की राह दिखाने वाले हैं और इनसे आर्थिक प्रगति को रफ्तार मिलेगी। पीएम मोदी ने विधेयकों के पारित होने पर ट्वीट किया, ‘लंबे समय से लंबित और प्रतीक्षित श्रम सुधारों को संसद से मंजूरी मिल गई है। इन सुधारों से औद्योंगिक मजदूरों के हितों की रक्षा की जा सकेगी और इकॉनमिक ग्रोथ को बूस्ट मिलेगा। ये नियम भी मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस का उदाहरण होंगे।’