आने वाले समय में दिल्ली की राजनीति के मिजाज पर सबकी नजर होगी। अभी तुरंत दिल्ली में कोई बड़ा चुनाव नहीं होना है। लेकिन बिना नियम के संसदीय सचिव बनाए गए आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता पर चुनाव आयोग का फैसला किसी भी दिन आ सकता है। फैसला विधायकों के खिलाफ जाते ही दिल्ली में मध्यावधि चुनाव की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। अगले साल दिल्ली से राज्यसभा के तीन सदस्य चुने जाने हैं। विधान में तीनों सदस्य विधानसभा में बहुमत वाले दल के पक्ष के ही होते हैं। आम आदमी पार्टी की शुरुआती टीम के सदस्य रहे और अब स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि सबसे बड़ा संकट तो आम आदमी पार्टी के टूटने का है। पंजाब से ‘आप’ के चार सांसद जीते थे। दो ‘आप’ से अलग हो चुके हैं। अगर भगवंत मान ने अपना बागी तेवर बरकरार रखा तो वे डॉक्टर धर्मवीर गांधी और हरमिंदर सिंह खालसा के साथ मिलकर अपने गुट को संसद में ‘आप’ के नाम पर मान्यता दिला सकते हैं। निगम चुनावों की हार के बाद पार्टी में हो रहे इस्तीफे को वे गंभीर नहीं मान रहे हैं। उनके मुताबिक, केजरीवाल संकट से निकलने के लिए कोई भी नाटक कर सकते हैं। पुराने साथियों से संवाद की बात को भी योगेंद्र यादव उसी नाटक का एक हिस्सा मान रहे हैं।

योगेंद्र यादव को लगता है कि भाजपा दिल्ली की सरकार को बर्खास्त करने की गलती नहीं करेगी, वह इसके खुद टूटने का इंतजार करेगी। यादव का दावा है कि ‘आप’ में उस तरह के कम लोग ही बच गए हैं जो बुरे समय में भी पार्टी का साथ देंगे। बाकी तो अवसर की तलाश में हैं, उन्हें ‘आप’ से ज्यादा दूसरे दल में मिलेगा तो वे एक क्षण भी नहीं रुकेंगे। यादव ने कहा कि स्वराज इंडिया तो अपने हिसाब से काम कर रही है। निगम चुनाव में उसे दिल्ली के हर इलाके में अपनी मौजूदगी दर्ज करवानी था, उसमें वह कामयाब रही। हर वार्ड में स्वराज टीम बनाकर काम शुरू किया जा रहा है। फिलहाल तो स्वराज इंडिया की टीम तमिलनाडु में किसानों के आंदोलन में शामिल होने जा रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से निगम चुनावों के नतीजों के बाद इस्तीफा देने वाले अजय माकन अपनी पार्टी के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं। लेकिन कांग्रेस का वोट औसत नौ से बढ़ाकर करीब 22 फीसद करने में वे अपना योगदान मानते हैं। उन्होंने स्वीकारा कि अगर कुछ नेताओं ने आखिरी समय में बगावत नहीं की होती तो नतीजे बेहतर होते। माकन का मानना है कि उनके प्रयास से दो साल में दिल्ली में जो माहौल बना, उसका लाभ भाजपा को मिला। भाजपा का औसत वोट बढ़े बिना उसे जीत मिल गई। वे मानते हैं कि कांग्रेस की वापसी उसी ‘आप’ के कमजोर होने से होगी जिसने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई। अब दिल्ली की जनता का एक वर्ग यह वस्तुस्थिति समझने लगा है, और उसी कारण कांग्रेस का वोटर कांग्रेस की ओर लौटने लगा है।

माकन ने कहा कि पूरी तरह कांग्रेस को खड़ा होने में अभी कुछ समय और लग सकता है। लेकिन यह तय है कि ‘आप’ दिल्ली में वापसी नहीं कर पाएगी। वे पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के उनके खिलाफ बार-बार बयान देने से आहत हैं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व को किसी और को प्रदेश की बागडोर सौंपने का आग्रह किया है। उनके मुताबिक, भाजपा जिस जीत का जश्न मना रही है वह जीत उसे कांग्रेस की वजह से मिली है अन्यथा भाजपा के औसत वोट फीसद में तो गिरावट आई है। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अब ‘आप’ की राजनीति सिमट रही है। झूठे सब्जबाग भी नहीं बचे हैं जिसे दिखाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने लोगों को बिखरने से रोक पाएं। उनके मुताबिक, अगर निगम चुनाव के बाद ‘आप’ के 21 विधायकों (जिन्हें गैरकानूनी तरीके से संसदीय सचिव बनाया गया) की सीटों को चुनाव आयोग खाली घोषित कर देता है, तब तो केजरीवाल सरकार अपने आप गिर जाएगी। कांग्रेस की बुनियाद पर भाजपा की जीत होने के सवाल पर विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि ऐसा नहीं है। लेकिन इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है कि कांग्रेस एक स्थापित पार्टी है, जिसे कोई ‘आप’ या इस तरह की हवाई पार्टी नहीं खत्म कर सकती है। लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस अभी भाजपा को कहीं भी चुनौती देती नहीं दिख रही है।