प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार किए गए कैबिनेट विस्‍तार के बाद स्‍मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्री के पद से हटा दिया गया। उन्‍हें कम महत्वपूर्ण कपड़ा मंत्रालय का जिम्‍मा सौंपा गया है। सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री ने ऐसा क्‍यों किया? क्‍या वे बतौर एचआरडी मंत्री स्‍मृति से जुड़े रहे विवादों की वजह से हटाई गई हैं या कोई और वजह है? अगर हम जरा गौर करें तो पाएंगे कि इसके पीछे भाजपा की एक बड़ी रणनीति हो सकती है- 2017 उत्‍तर प्रदेश चुनाव।

प्रधानमंत्री मोदी ने ईरानी को अपनी ‘छोटी बहन’ बताकर यूपी के अमेठी में जनता से रूबरू कराया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ ईरानी की हार तय थी, लेकिन वे मैदान छोड़ने वालों में से नहीं थी। चुनाव खत्‍म होने के तुरंत बाद ईरानी ने हार कबूल की और अमेठी की जनता से वादा किया कि वे यहां लौटकर आती रहेंगी। किसानों की मदद से लेकर कई केन्‍द्रीय योजनाओं के जरिए स्‍मृति ने अमेठी में अपनी पैठ बनाए रखी। मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर 2015 में अमेठी की जनता से ईरानी ने कहा था, ”भले ही आपसे चूक हो गई हो, लेकिन आपके साथ मेरा रिश्‍ता अभी भी मजबूत है।”

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भाजपा को उत्‍तर प्रदेश में कोई भी चेहरा आगे कर पाने में मुश्किल हो रही है। पिछले कुछ महीनों में हुए चुनावी सर्वे बताते हैं कि पार्टी के सीएम कैंडिडेट के लिए लोकप्रियता के पैमाने पर केन्‍द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा सांसद वरुण गांधी के बीच कांटे की टक्‍कर है। फिर स्‍मृति ईरानी का नाम कहां से आया? इन चुनावी सर्वे में उनकी लोकप्रियता दहाई के अंकों भी पार नहीं कर सकी। शायद कांग्रेस द्वारा प्रियंका गांधी को आगे किए जाने की वजह से भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी है। पिछले कुछ चुनावों में जहां प्रियंका ने अमेठी से बाहर चुनाव प्रचार से मना कर दिया था, वहीं इस कांग्रेस ने उन्‍हें पूरे उत्‍तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का जिम्‍मा सौंपा है। पिछले कुछ सालों में राहुल की असफलता को देखते हुए कांग्रेस प्रियंका गांधी से अगले कुछ महीनों में राज्‍य भर में कम से कम 150 रैलियां करने की उम्‍मीद कर रही है। भाजपा में प्रियंका को रोकने के लिए बेस्‍ट कौन है? स्‍मृति ईरानी।

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राहुल गांधी को अमेठी चुनाव में जीत के लिए नाकों चने चबवाने वाली स्‍मृति 3,00,748 वोटों के साथ दूसरे स्‍थान पर रही थीं। राहुल को 4,08,651 वोट मिले थे। कांग्रेस की प्रियंका को काउंटर करने के लिए भाजपा के पास शायद ईरानी से बेहतर विकल्‍प नहीं है। अगर कांग्रेस के भीतर चल रहे राजनैतिक बदलावों पर ध्‍यान दें तो राहुल के कजिन वरुण गांधी शायद ही भाजपा को चे‍हरा बने। बिखरा गांधी परिवार हाल के राजनीतिक दिनों से ज्‍यादा करीब कभी नहीं दिखा।

जब ईरानी से पूछा गया कि क्‍या वे पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान बतौर मुख्‍यमंत्री उम्‍मीदवार संभालने को तैयार हैं, उन्‍होंने कोई जानकारी देने से मना कर दिया। उन्‍होंने कहा, ”मैं पार्टी की एक अनुशासित कार्यकर्ता हूं और आदेशों का पालन करूंगी।”

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कुछ ही महीनों में चुनाव प्रचार शुरू हो जाएगा, समय खुद-ब-खुद सबकुछ साफ कर देगा।