यहां बात हो रही है ‘तथाकथित’ दुर्दांत अपराधी अतीक अहमद की। ‘तथाकथित’ इसलिए, क्योंकि भारतीय न्यायपालिका ने उसे उसके अपराध के लिए मृत्युदंड नहीं दिया था और अतिरेक में पुलिस की अभिरक्षा में सार्वजनिक रूप से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। यह कैसा अंधेर काल है कि न्यायपालिका के समक्ष उपस्थित होने से पहले और उनके आदेश के बिना ही किसी की हत्या कर या करवा दी जाए! इसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।

रात दस बजे अतीक-अशरफ को अस्पताल क्यों ले जाया गया

गंभीर चर्चा का विषय है और पुलिस प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया जाता है कि ऐसी क्या आफत आ गई थी कि रात दस बजे दूल्हे की तरह सजाकर दोनों अपराधियों को बारात की शक्ल में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया जा रहा था। दूसरा यह कि क्या प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए पुलिस के पास इतना और यही समय था अथवा वह अपराधी इतना बड़ा राष्ट्रपुरुष था कि वह चलते-चलते ही  मीडियाकर्मियों से मुखातिब हो, बातचीत करे? या पूर्व निर्धारित योजनाबद्ध तरीके से ऐसा किया गया?

अब सत्तापक्ष ने इस बात के लिए अपनी तलवार खींच ली है कि अतीक की हत्या विपक्ष ने कराई है। वहीं, विपक्ष इस बात के लिए तलवार खींचकर खड़ा है कि भारी—भरकम पुलिस अभिरक्षा में किसी की इतनी हिम्मत कैसे हो सकती है कि वह भीड़ में घुसकर अपराधियों की हत्या कर दे। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह कहते हैं कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या विपक्षी द्वारा राज खुलने के डर से कराई गई है। आगे वह कहते हैं कि कुछ गंभीर राज खुलने वाले थे, इसलिए विपक्ष ने दोनों भाइयों की हत्या करा दी। उनका कहना है कि माफिया भाइयों की हत्या को लेकर विपक्ष योगी सरकार को घेरने में जुटा है।

मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है कि हत्याकांड को सरकार के नाम से जोड़ना पूरी तरह गलत है। लोग हंसी उड़ा रहे हैं कि यह किस तरह विपक्ष को हत्या की  टोपी पहनाने में सरकार का प्रतिनिधि जुटा है। सरकार उनकी, पुलिस प्रशासन सत्तारूढ़ का, अभिरक्षा सरकार की, फिर विपक्ष किस प्रकार हत्या करा सकता है? यह गलत परंपरा की शुरुआत है जब एक दुर्दांत अपराधी की पुलिस अभिरक्षा में हत्या कर दी गई। जिस तरह हत्या की गई, उसकी जांच के लिए टीम का गठन सरकार ने कर दिया है। तो क्या सच भी सामने आ जाएगा?

अतीक ने 44 वर्ष तक न सिर्फ दहशत कायम की, बल्कि अकूत दौलत कमाई

गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल की रात सनसनीखेज अंदाज में हत्या कर दी गई। प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के बाहर पुलिस की सुरक्षा के बीच मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे हमलावरों ने दोनों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतार दिया। दशकों तक खौफ का साम्राज्य चलाने वाले अतीक अहमद का अंत महज कुछ सेकंड के भीतर हो गया। अतीक की हत्या के बाद उसके किस्से अब सार्वजनिक हो रहे हैं। अतीक अहमद ने 44 वर्ष तक प्रयागराज और उसके आसपास के इलाकों में न सिर्फ दहशत कायम की, बल्कि इसकी बदौलत अकूत दौलत कमाई और राजनीति में भी सफलता का स्वाद चखा। वह पांच बार विधायक रहा, जबकि एक बार सांसद बना। राजनीति की सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी उसने अपराध की दुनिया से मुंह नहीं मोड़ा। आखिरी वक्त तक उसपर हत्या, अपहरण, वसूली, रंगदारी जैसी गंभीर धाराओं समेत 100 से ज्यादा मुकदमे विभिन्न न्यायालय और पुलिस थाने में दर्ज थे।

अतीक अहमद के लिए कभी खुद, तो कभी गुर्गों के जरिये लोगों की हत्या करवाना, रंगदारी मांगना, न देने पर अगवा करवा लेना, पिटाई करना बेहद आम था। वह खुलेआम लोगों को फोन पर वसूली और हत्या की धमकी देता था। अतीक हत्याकांड के बाद बीबीसी ने एक रिपोर्ट प्रसारित की है, जिसमें पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के हवाले से चौंकाने वाली बातें लिखी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अतीक अहमद मसीहा था। वह गरीबों को बेटियों की शादी के लिए पैसे देता था, बच्चों को स्कूली यूनिफार्म देता था, ईद मनाने के लिए गरीबों को पैसा देता था। यही नहीं, बल्कि उसकी तुलना अमीरों को लूटकर गरीबों में बांटने वाले कैरेक्टर ‘रॉबिनहुड’ से कर दी है।

हत्याकांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को फील्ड में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रहनी चाहिए और इसमें सभी प्रदेशवासी सहयोग भी कर रहे हैं। आमजन को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका ध्यान रखें। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि कानून के साथ कोई भी खिलवाड़ न करे। योगी ने जनता से अपील की है कि किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक अतीक और अशरफ की हत्या करने वालों में लवलेश बांदा, सनी कासगंज और अरुण मौर्य हमीरपुर का रहने वाला है। अतीक और अशरफ पर 10 राउंड की फायरिंग तुर्की में निर्मित पिस्तौल से की गई है। 

अब जांच हो रही है और पूरा देश हैरान हैं कि अतीक अहमद जैसे दुर्दांत अपराधी को इतनी सरलता के तीन बहके हुए युवा अपराधियों ने योजनाबद्ध तरीके से किस हिम्मत के साथ खत्म कर दिया। जैसा कि पकड़े जाने के बाद तीनों हत्यारों ने कहा है कि उन्हें अतीक से बड़ा डॉन बनना है। सच तो यह है कि यह पुलिस की बनाई कहानी लगती है और इसलिए यह गले के नीचे नहीं उतरती है। अतीक अहमद की सुरक्षा में तैनात यह वही पुलिसबल था, जब तीनों हत्यारे वारदात को अंजाम दे रहे थे तो सभी जान बचाकर भाग गए थे।

तीनों हत्यारे के आत्मसमर्पण के बाद पुलिस ने बेशर्मों की तरह डरते हुए पास आकर उन्हें गिरफ्तार किया। वैसे, सरकार ने सुरक्षा में तैनात सभी सतरह पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया है, लेकिन जिस तरह से देशभर में उप्र सरकार की किरकिरी हो रही है, उससे मुख्यमंत्री की छवि धूमिल हुई है। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री माफिया उन्मूलन के लिए बचनबद्ध हैं, जिसके कारण उनके कार्यकाल में राज्य के कितने ही अपराधियों को मौत की नींद सुलाया जा चुका है।

अब विपक्षी दल सरकार पर इस हत्याकांड के लिए सवाल उठा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा, ‘उप्र में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। जब पुलिस की सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है, तो आमजन की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है। ऐसा लगता है कि कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।’ इससे पहले रात के लगभग साढ़े 11 बजे ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि अतीक और उनके भाई पुलिस की हिरासत में थे। हथकड़ियां लगी हुई थीं। हत्यारे द्वारा हत्या के बाद ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए गए। दोनों की हत्या योगी के कानून-व्यवस्था की नाकामी है।

एनकाउंटर राज का जश्न मनाने वाले भी इस हत्या के जिम्मेदार हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिस समाज में हत्यारे हीरो होते हैं, उस समाज में कोर्ट और इंसाफ के सिस्टम का क्या काम? इससे पहले उमेश पाल हत्याकांड में यूपी एसटीएफ ने माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम अहमद का एनकाउंटर कर दिया। कार्रवाई झांसी में की गई। उमेश पाल की हत्या के बाद से पांचों शूटर फरार थे। पुलिस अरबाज और उस्मान उर्फ विजय का भी एनकाउंटर कर चुकी है। उमेश पाल को 24 फरवरी, 2023 को उनके घर में घुसकर गोलियों से भून दिया गया था।

अतीक अहमद का बेटा असद समेत छह शूटर गोली और बम मारते हुए सीसीटीवी में दिखे थे। अगले दिन उमेश की पत्नी ने अतीक, अशरफ, शाइस्ता, अतीक के बेटे असद, गुड्डू मुस्लिम, उस्मान समेत अतीक के कई अज्ञात गुर्गों और सहयोगियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अब देखना यह है कि जांच टीम को अपनी रिपोर्ट दो महीने में देने के लिए कहा गया है। जांच टीम क्या रिपोर्ट देती है और फिर उसपर किसके विरुद्ध कार्रवाई होती है, यह तो समय बताएगा, लेकिन जिसकी हत्या हो चुकी, वह फिर सदेह वापस नहीं आता है। इसलिए अतीक के लिए मृत्यु रूपी सत्य साकार हो चुका है, लिहाजा अतीक अब वापस नहीं आएगा।

Senior Journalist Nish Kant Thakur

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)