
सिर्फ एक स्तंभ मेंइस विषय का विवेचन नहीं किया जा सकता, फिर भी मेरा खयाल है, मुझे बात छेड़नी चाहिए।
सिर्फ एक स्तंभ मेंइस विषय का विवेचन नहीं किया जा सकता, फिर भी मेरा खयाल है, मुझे बात छेड़नी चाहिए।
साढ़े सात फीसद की जीडीपी वृद्धि दर के साथ भारत की स्थिति ‘अंधों में काना राजा’ जैसी है।
संघर्ष कश्मीरी के मन में घर कर गया है। इसका लावा समय-समय पर सड़कों पर फूट पड़ता है और हिंसा…
बड़े कर्ज संबंधित बैंक के निदेशक बोर्ड की समिति द्वारा मंजूर किए गए हैं। एनपीए में परिणत हुए प्रत्येक बड़े…
जीडीपी की साढ़े सात फीसद वृद्धि दर की चमक-धमक में इस हकीकत से आंख नहीं चुरानी चाहिए कि कुल मांग…
राष्ट्रवादी को इस तरह परिभाषित करने का भाजपा का प्रयास कि जो ‘भारत माता की जय’ बोलेगा वही राष्ट्रवादी है,…
इतिहास को किस्सों के जरिए बताया जा सकता है। राजनीति को भी। अगर आप भारत की राजनीति को कहानी के…
मुख्य आर्थिक सलाहकार को खुश होना चाहिए कि राजकोषीय घाटे को लेकर उनकी बात गलत निकली। वह अच्छा तर्क था…
किसान खुशी मना सकते हैं। सरकार ने आखिरकार माना कि किसान भारत के अंग हैं, कि कृषिक्षेत्र गहरे संकट में…
वर्ष 2016-17 के लिए आने वाले बजट से हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए? मैं उम्मीद करता हूं कि वित्तमंत्री मौजूदा…
बाल गंगाधर तिलक ने कहा था ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’। उन पर देशद्रोह का मुकदमा चला। वह उस समय…
अगर नागरिक मुहिम न होती, तो नेट निरपेक्षता पर ट्राई की ओर से पेश किए गए परामर्श-पत्र का नतीजा भिन्न…