गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केन्द्र सरकार की ओर पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ। इस वर्ष कुल 128 हस्तियों को पद्म पुरस्कार दिए जाएंगे। बता दें कि इसमें पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत का भी नाम है। उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा जाएगा। जबकि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस वर्ष 4 हस्तियों को पद्म विभूषण, 17 हस्तियों को पद्म भूषण ,जबकि 107 हस्तियों को पद्म श्री सम्मान से नवाजा जाएगा।

इस साल के पद्म पुरस्कारों में पद्म भूषण पुरस्कार के लिए बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का भी नाम है। सार्वजनिक क्षेत्र में उनकी सेवा के लिए उन्हें पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित करने का ऐलान किया गया। हालांकि पीटीआई की खबर के अनुसार उन्होंने ये सम्मान लेने से मना कर दिया है। पीटीआई के हवाले से बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा कि अगर सचमुच में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है तो वह इसे अस्वीकार करते हैं। उन्हें इस पुरस्कार के बारे में बताया ही नहीं गया ना ही उनकी सहमति ली गई है।

गायिका संध्या मुखर्जी ने भी ठुकराया पद्म सम्मान: वहीं 90 वर्षीय वरिष्ठ गायिका संध्या मुखर्जी ने भी पद्मश्री पुरस्कार लेने से मना कर दिया है। पीटीआई की खबर के अनुसार संध्या मुखर्जी का कहना है कि यह पुरस्कार उनके एक जूनियर कलाकार के लिए अधिक योग्य है ना कि उनके जैसे कद के किसी व्यक्ति के लिए।

संध्या मुखर्जी की बेटी सौमी सेनगुप्ता ने कहा कि उनकी मां को दिल्ली से वरिष्ठ अधिकारी ने फोन किया था। उनकी मां ने अधिकारी से कहा कि इस पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में नामित होने के लिए वो तैयार नहीं है क्योंकि उम्र के हिसाब से इस पुरस्कार की पेशकश पर वह अपमानित महसूस कर रही हैं।

किन लोगों को दिया जाता है पद्म पुरस्कार: पद्म पुरस्कार उन हस्तियों को दिया जाता है जिन्होंने कला, साहित्य ,शिक्षा ,खेल, विज्ञान, समाज सेवा, लोक कार्य ,सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग समेत अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल की है या अपनी विशिष्ट सेवाएं दी हैं। पद्म पुरस्कारों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है और लोगों को उनकी सेवा के आधार पर पद्म पुरस्कार दिया जाता है।

Padmaawards.gov.in वेबसाइट के अनुसार केंद्र सरकार 1954 से भारत रत्न और पद्म पुरस्कार दे रही है। 1954 में इसके 3 वर्ग थे, पहला वर्ग , दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग। लेकिन 1955 के गणतंत्र दिवस से पहले इनके वर्गों के नाम बदल दिए गए। 8 जनवरी 1955 से इनका नाम हो गया पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री।

पद्म विभूषण: पद्म विभूषण पुरस्कार असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है।

पद्म भूषण : पद्म भूषण पुरस्कार उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए दिया जाता है।

पद्म श्री: पद्मश्री पुरस्कार विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।

कब होता है नामों का ऐलान: हर वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। 1954 से लेकर अब तक 7 बार पद्म पुरस्कारों की घोषणा गणतंत्र दिवस के मौके पर नहीं हुई है। 1978 और 1979 जबकि 1993 से लेकर 1997 तक पद्म पुरस्कारों की घोषणा गणतंत्र दिवस के मौके पर नहीं की गई थी।

कौन से व्यक्ति पद्म पुरस्कार के लिए पात्र होते हैं: सरकार के मुताबिक कोई भी व्यक्ति पद्म पुरस्कारों के लिए पात्र होता है लेकिन सरकारी कर्मचारी तब तक इस पुरस्कार के लिए पात्र नहीं है, जब तक वह अपने पद पर बने हुए हैं। हालांकि डॉक्टर और वैज्ञानिकों को छूट दी गई हुई है।

पुरस्कार के लिए कैसे होता है चयन: पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन या सिफारिश करने की समय सीमा भी होती है। हर साल 1 मई से 15 सितंबर तक की तारीख इसके लिए तय होती है। 15 सितंबर नाम वापसी की भी आखिरी तारीख होती है। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें , केंद्रीय मंत्रालय या विभाग ,भारत रत्न या पद्म विभूषण पुरस्कार हासिल कर चुकी हस्तियां पद्म पुरस्कार के लिए किसी व्यक्ति के नाम की सिफारिश कर सकती हैं।

बता दें कि पद्म पुरस्कारों के चयन में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों के नामांकन के लिए नियमों में बदलाव किया था। सरकार ने 1 मई 2016 से पोर्टल शुरू किया जहां कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से, केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा या राज्य सरकारों द्वारा या फिर किसी संस्थान के द्वारा की गई सिफारिशों को स्वीकार किया जाता है।

  • पद्म पुरस्कारों के नामों पर विचार करने के लिए प्रधानमंत्री हर वर्ष एक कमेटी का गठन करते हैं और कैबिनेट सचिव इस कमिटी के अध्यक्ष होते हैं।
  • इस कमेटी में गृह सचिव, राष्ट्रपति के सचिव और 4 से 6 विशिष्ट लोग भी शामिल होते हैं।
  • प्रधानमंत्री द्वारा गठित कमेटी पद्म पुरस्कार के लिए नामों पर विचार करती है और फिर प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति के पास इन नामों को अनुमोदन के लिए भेजा जाता है।
  • इसके बाद प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति इन नामों पर अपनी स्वीकृति प्रदान करते हैं।
  • प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार पानी वाले हस्तियों के नामों का ऐलान किया जाता है।

बता दें कि 1 साल में दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों की संख्या 120 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हालांकि अगर मरणोपरांत पुरस्कार और विदेशियों को भी पुरस्कार दिया जाता है तो यह संख्या 120 के पार जा सकती है।

कब मिलता है सम्मान और सुविधाएं?: बता दें कि पद्म पुरस्कार राष्ट्रपति के हाथों से मिलता है और इसका आयोजन हर साल राष्ट्रपति भवन में किया जाता है। पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और सील वाला सर्टिफिकेट और मेडल दिया जाता है। साथ ही मेडल की प्रतिकृति भी दी जाती है जिसे वह किसी भी समारोह में पहन सकते हैं।

  • पद्म पुरस्कारों के साथ हस्तियों को कोई नगद पुरस्कार, हवाई – रेल यात्रा में छूट, भत्ता जैसी सुविधा नहीं दी जाती।
  • ये पुरस्कार कोई पदवी नहीं होते हैं इसलिए विजेताओं के नाम के आगे या पीछे इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। अगर कोई विजेता इसके नाम का इस्तेमाल करता है तो पुरस्कार वापस भी लिया जा सकता है।