आजकल हर तरफ एक अजीब-सा माहौल दिखता है। कोई किसी पर विश्वास ही नहीं करना चाहता। सभी एक-दूसरे को ‘विश्वासी’ न मानकर ‘विषवासी’ मान रहे हैं। एक अक्षर में अंतर के साथ कितना कुछ बदल जाता है। हर कोई आपस में परस्पर खटकने लगा है। खटकने की यह प्रक्रिया आंखों से शुरू होती है और व्यवहार में समा जाती है। आमतौर पर इंसान किसी की आंखों में तभी खटकता है, जब वह लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जाता है। लोगों की आंखों में खटकने के लिए हममें कई खूबियां होनी चाहिए। हमारी सफलता ही यह बताती है कि इसके लिए हममें कितनी खूबियों की जरूरत हैं।
खटकने को लेकर एक पूरा मनोविज्ञान है। दुनिया में तीन प्रकार के लोग होते हैं। पहले तो वे जो हमारे लिए सकारात्मक सोच रखते हैं। ऐसे लोग हमें आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। पर ऐसे लोग बहुत कम संख्या में होते हैं। दूसरे प्रकार के लोगों की संख्या बहुतायत में होती है। वे नकारात्मक विचारों के होते हैं, जो हमारी सफलता के रास्ते पर बाधाएं उत्पन्न करते हैं। हम इन्हीं की आंखों में खटकते हैं। तीसरे वे होते हैं, जो उपर्युक्त दोनों प्रकार के लोगों की आशाओं पर पानी फेरने का काम करते हैं। ऐसे लोग ही बहुत खतरनाक होते हैं। जीवन में हमें इस प्रकार के लोग मिलते रहते हैं। कई बार हमारा कोई कुसूर न होने के बाद भी लोग आपकी पद-प्रतिष्ठा के कारण हमारे दुश्मन बन जाते हैं। वजह साफ है। वे लोग अपनी सारी कोशिशों के बाद भी हमारे स्थान पर नहीं पहुंच पाते। कामयाब इंसान की कामयाबी को देखकर ऐसे लोग ही उसके रास्ते पर अवरोध बनकर सामने आ जाते हैं।
कामयाब इंसान के लिए कामयाबी हासिल करना ही नहीं होता मकसद
कामयाब इंसान के सामने कामयाबी हासिल करना ही मकसद नहीं होता। उसके मकसद में आड़े आने वालों से निपटना भी एक प्रकार की जंग ही है। कई बार इंसान ऐसे लोगों से ही लड़ते-लड़ते थक जाता है। वह अपनी कामयाबी का रास्ता भूल जाता है। पर कुछ लोग इससे अलग किस्म के होते हैं। वे ऐसे लोगों को अनदेखा कर केवल अपनी कामयाबी की ओर ही देखते हैं। ऐसे अलग किस्म के लोग बनना भी बहुत मुश्किल है, क्योंकि वे भी एक सामाजिक प्राणी है। उन्हें भी समाज के नियमों का पालन करते हुए अपने कर्तव्य निभाने हैं। अपने दुश्मनों को अनदेखा करना बहुत ही मुश्किल है। दूसरी ओर कई लोग इन्हीं दुश्मनों की वजह से आगे बढ़ जाते हैं। दुश्मन उसकी कमजोरियों का फायदा उठाना चाहते हैं। अनजाने में यही दुश्मन उसे उसकी कमजोरियों का अहसास दिलाते हैं। कामयाब इंसान इसे समझते हुए दुश्मनों को जवाब देने के बजाय अपनी कमजोरियों को दूर करने में अपनी पूरी ताकत झोंक देता है। अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करना कामयाब इंसान की पहचान होती है।
कठिन रास्तों के बाद मिली मंजिल का सुख सबसे अलग, वर्षों का संघर्ष दिलाती है सफलता
इंसान जब कामयाबी के रास्ते पर चलता है, तब कई ताकतें उसे कमजोर करने में लग जाती हैं। अगर वह अपनी कमजोर होती ताकत की ओर देखेगा, तो निश्चित रूप से कमजोर हो जाएगा। इस कठिन रास्ते पर वे लोग ही चल पाते हैं, जिनकी आंखों के सामने उनकी मंजिल होती है। अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए लोगों के पास जुनून होता है। यही जुनून उसके दुश्मनों को उससे अलग करता है। हर कामयाब इंसान कभी न कभी कमजोर होता ही है। इसी कमजोरी से उसे ताकत हासिल करनी होती है। जो ऐसा करने में सक्षम होते हैं, सफलता उन्हीं के कदम चूमती है। कामयाब होने के बाद इंसान की सबसे बड़ी चुनौती होती है, उस कामयाबी को टिकाए रखना।
नाकामयाब व्यक्तिों को खटकते हैं कामयाब लोग
आंखों में खटकना, यानी सफल होते व्यक्ति के दुश्मनों की संख्या बढ़ना। जो खटकता है, उसके दुश्मन बहुत होते हैं। यहां पर व्यक्ति आंखों में खटकता है, पर नाकामयाब व्यक्ति इसके लिए ‘खटता’ रहता है। उसकी पूरी कोशिश होती है कि सामने वाले को किस तरह से नीचा दिखाया जाए, ताकि उसकी आंखों का कांटा दूर हो सके। ऐसा भी नहीं है कि जो व्यक्ति उसकी आंखों में खटकता है, वह कहीं नाकामयाब हो जाए, तो उसका मिशन खत्म हो जाता है। असफल व्यक्ति की आंखों में कई लोग खटकते ही रहते हैं। एक गया, तो दूसरा आया। यह सिलसिला चलता ही रहता है। ऐसे लोग न तो अपना भला कर पाते हैं, न ही दूसरों का। उनका पूरा जीवन ही इसी में लगा रहता है कि कब किसे किस तरह से नीचा दिखाया जाए।
परंपराओं से दूर हो रहे लोग, शहरीकरण के दौर में लोक से हो रहा मोहभंग
दरअसल, कामयाब वही होते हैं, जो नाकामयाबी को अपना दोस्त मानते हैं। आंखों में खटकते वही हैं, जो सफलता की राह पर चलते रहते हैं। खटते वही हैं, जो किसी को आगे बढ़ता नहीं देख सकते। दूसरी ओर, कामयाब होने की जिद पर अड़ा व्यक्ति इन्हीं लोगों के बीच में से अपने लिए रास्ता निकाल लेता है। कहते भी हैं कि लोगों ने उस पर इतने पत्थर बरसाए कि पत्थरों का पहाड़ ही बन गया, लेकिन उसने उन पत्थरों से एक मजबूत इमारत बना ली। इसे कहते हैं आलोचनाओं के पत्थरों से भी बन सकती है, एक मजबूत और आलीशान इमारत। इसके लिए हमें उस तरह का शिल्पी बनना होगा। यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि हम किनकी आंखों में खटक रहे हैं। अगर खटक रहे हैं, तो अच्छी बात है, क्योंकि यही खटकना ही बताता है कि आप जो भी कर रहे हैं, अच्छा कर रहे हैं।