परंपरागत रूप से भूलना समय के साथ मस्तिष्क में दर्ज और संग्रहीत जानकारी के निष्क्रिय क्षय के रूप में माना जाता है। भूलना जरूरी नहीं कि दोषपूर्ण स्मृति का संकेत हो। एक बुद्धिमान स्मृति प्रणाली के लिए भूलना जरूरी है। इसके पक्ष में कुछ शोधकर्ता तर्क देते हैं कि मस्तिष्क के स्मृति तंत्र का जैविक लक्ष्य जानकारी को संरक्षित करना नहीं है, बल्कि मस्तिष्क को सही निर्णय लेने में मदद करना है। स्मृति स्वयं अभी भी एक रहस्य है, लेकिन इसमें मूल रूप से मस्तिष्क में होने वाले शारीरिक परिवर्तन शामिल हैं जो पिछले अनुभवों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

स्मृति का लक्ष्य बुद्धिमान निर्णय लेने का मार्गदर्शन करना है। सिर्फ सार को समझना विशेष रूप से बदलते परिवेश में सहायक होता है, जहां कुछ यादों के खो जाने से कई तरीकों से निर्णय लेने में सुधार होता है। भूलने में विफलता के परिणामस्वरूप अवांछित या दुर्बल करने वाली यादें बनी रहती हैं। भूलने की आदत से बचने की कोशिश में कुछ लोग यादों के महल बनाते हैं। लेकिन यह याद रखने की जरूरत है कि यादों के सबसे शानदार महल को भी कूड़ेदानों की जरूरत होती है। कुछ ऐसी यादें होती हैं जो हमें नहीं चाहिए और जिनकी हमें जरूरत नहीं होती। कई बार हम अपने जीवन की कुछ बातें भूलने का सचेतन प्रयास भी करते हैं या फिर उस बात के याद आने के बाद उससे परेशान दिखते हैं।

एक दूसरे के सम्मान हमेशा रखना चाहिए ध्यान

कई मामलों में भूलना केवल स्मृति के किसी अंश को याद करने में असमर्थता को दर्शाता है। मस्तिष्क की उल्लेखनीय भंडारण क्षमता से पता चलता है कि इसमें एक कुशल सूचना प्रबंधन प्रणाली है, जो ‘डेटा’ निपटान विधियों से सुसज्जित है। यानी अतीत के ब्योरों को जरूरत के मुताबिक मस्तिष्क सहेजता या फिर निपटाता भी रहता है। शोधकर्ता मानते हैं कि निष्क्रिय तंत्र की तुलना में ‘सक्रिय’ भूलना स्मृति को मिटाने में अधिक शक्तिशाली हो सकता है। सूचनाओं से भरी दुनिया में शोर को कम करने और बेकार विवरणों को त्यागने में सक्षम होना आवश्यक है, ताकि वे नई शिक्षा या विचारों तक व्यक्ति की पहुंच में बाधा न डालें। भूलने की क्षमता हमें प्राथमिकता तय करने, बेहतर सोचने, निर्णय लेने और पहले से अधिक रचनात्मक होने में मदद करती है। सामान्य भूलने की क्षमता स्मृति के साथ संतुलन में, हमें संग्रहीत जानकारी के दलदल से अमूर्त अवधारणाओं को समझने के लिए मानसिक लचीलापन देती है, जिससे हम पेड़ों के बीच जंगल देख पाते हैं।

निरंतरता और सफलता के बीच है गहरा संबंध, लक्ष्य को प्राप्त करना होता है आसान

जीवन में व्यस्त रहने के साथ-साथ, मस्तिष्क को सक्रिय रूप से भूलने में मदद करने का एक और तरीका आक्रोश, द्वेष और पिछली निराशाओं को जाने देने का सचेत निर्णय लेना है। जितना अधिक हम किसी दुखद याद पर ध्यान देते हैं या यादों के आसपास की घटनाओं पर चिंतन करते हैं, स्मृति के आसपास ‘न्यूरोनल संपर्क’ उतने ही मजबूत होते हैं। पुरानी कहावत है- ‘माफ करने के लिए हमें भूलना पड़ता है।’ ज्यादातर वैवाहिक झगड़े भूलने की अक्षमता से सामने आते हैं। अगर कोई ऐसी दवा बना सकता है जो अपमान को जल्दी भुला सके, तो जीवन बेहद आनंददायक हो सकता है। यह अलग प्रश्न है कि इससे किसी का अपमान करना सामान्य व्यवहार की एक सहज गतिविधि हो जाए। मगर किसी अपमान की वजह से जीवन रुक जाए, यह भी उचित नहीं।

अच्छी और स्थायी यादें बनाना जीवन में एक आशीर्वाद है

मनोवैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि लगभग छप्पन फीसद जानकारी एक घंटे के भीतर, छियासठ फीसद एक दिन के बाद और पचहत्तर फीसद छह दिनों के बाद किसी न किसी रूप में भूल जाती है। भूलना उस जानकारी में कमी या बदलाव है जो पहले अल्पकालिक या दीर्घकालिक स्मृति में संग्रहीत थी। मस्तिष्क सक्रिय रूप से उन यादों को छांटता है जो अप्रयुक्त हो जाती हैं। जैसे-जैसे यादें जमा होती हैं, जो फिर से प्राप्त नहीं होती हैं, वे आखिरकार खो जाती हैं। मानव मस्तिष्क एक ऐसा ‘पावर हाउस’ या ऊर्जा तंत्र है जो हमारे द्वारा किए गए हर काम को यादों से जोड़ता है।

खेलिए, कूदिए, हंसिए… ‘किडल्टिंग’ से लौट रही मासूम खुशियां

यादें किसी व्यक्ति के लिए उतनी ही अनोखी होती हैं, जितनी कि उसके अंगूठे के निशान। अच्छी और स्थायी यादें बनाना जीवन में एक आशीर्वाद है। एक सुखद स्मृति हमें मुश्किल समय से गुजरने और हर चीज का सकारात्मक दृष्टिकोण से सामना करने में मदद कर सकती है। दिल को छू लेने वाली घटनाओं के साथ यादों के उद्धरण जोड़ने से उन्हें हमेशा याद रखने में मदद मिलती है। हमारी कई यादें हमें अपने प्रियजनों को याद करने और उनके द्वारा सिखाए गए सबक को याद करने की अनुमति देती हैं। यादें एक वरदान की तरह होती हैं और आपको अपने लिए एक जगह बनाने में मदद करती हैं। यादें अतीत की खिड़की होती हैं जो लोगों को भविष्य के लिए तैयार होने में मदद करती हैं। यादें ही हमारी रचना हैं। अपनी यादों पर चिंतन करना केवल यादों की गलियों में यात्रा करना नहीं है, बल्कि हमारे अतीत के उन सभी टुकड़ों पर नजर डालना है, जिन्होंने हमारे भविष्य का निर्माण किया है।

अतीत के बिना कोई वर्तमान क्षण नहीं होता

वही भविष्य, जो हम अभी जी रहे हैं। दूसरे शब्दों में अतीत के बिना कोई वर्तमान क्षण नहीं होता। यादें हमारे जीवन की समयरेखा पर एक प्रतीक चिह्न या ‘मार्कर’ के रूप में काम करती हैं। यादें वर्ष बीतने के साथ-साथ फीकी पड़ सकती हैं, लेकिन वे एक दिन भी पुरानी नहीं होती। जिस तरह कुछ यादें सहज जीवन में बाधक के रूप में काम करती हैं, उसी तरह कभी-कभी हम किसी पल का मूल्य तब तक नहीं जान पाते जब तक वह याद न बन जाए। यादें एक बगीचे की तरह होती हैं। नियमित रूप से सुंदर फूलों की देखभाल करते और आक्रामक खरपतवारों को हटाते रहना चाहिए।