सूरज के डूबते समय आकाश में बिखरती सुनहरी किरणें, ठंडी हवा का सहलाता हुआ एक हल्का झोंका या किसी प्रियजन का अचानक से दिया गया सांत्वना भरा स्पर्श। क्या हमने कभी इन क्षणों को ठहरकर महसूस किया है? हमारी व्यस्त दिनचर्या और सपनों की अंधाधुंध दौड़ में हम इन छोटे-छोटे सुखद पलों की अनदेखी कर देते हैं, पर जीवन की सच्ची सुंदरता इन्हीं पलों में छिपी होती है। मगर आजकल जिस स्तर पर जीवनशैली में बदलाव आ रहा है, उसमें हम अपने मुताबिक सुख की परिभाषा के तहत किसी सुख की खोज में अपना वक्त जाया करते रहते हैं और हमारे आसपास बिखरी छोटी-छोटी खुशियां हमसे छिनती जाती हैं, क्योंकि हमारी नजर में वे महत्त्वहीन होती हैं।
आभार, या कहें कृतज्ञता, केवल एक भावना नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक दृष्टिकोण है। यह हमें सिखाता है कि हर दिन, हर क्षण, हर अनुभव के प्रति झुकाव होना क्यों जरूरी है। यह हमें जीवन के संघर्षों के बीच भी खुश रहने की कला सिखाता है। कुछ हासिल कर लेने की आपाधापी में अक्सर परिणाम यह होता है कि या तो व्यक्ति वह पा लेता है जो उसे प्रिय है और फिर क्षण भर का मोद और हर्ष पाकर वह फिर कुछ नया पाने की होड़ में लग जाता है। या असफल होने की स्थिति में दो बातें होती हैं- पहली यह कि व्यक्ति सकारात्मकता का पक्षधर बन कर फिर प्रयास में जुट जाता है या किसी गहन मानसिक अंधकूप की ओर बढ़ चलता है, जहां तनाव, अवसाद या निराशा उसकी नई लड़ाई बन जाती है, पर इस संघर्ष में अक्सर ठहर कर यह महसूस करना कहीं पीछे छूट जाता है कि इस यात्रा में हमने क्या सीखा या पाया!
असफलताओं को दरकिनार करके अपनाना चाहिए सफलता का रास्ता
कृतज्ञता के भाव को अपनाने पर हमारी नजरें ‘क्या कमी है’ से हटकर ‘क्या है’ पर टिक जाती हैं। उदाहरण के लिए, एक सुंदर सुबह की ठंडक, किसी मित्र की मुस्कान, या धीरे-धीरे वसंत का आना-इस तरह के क्षण जीवन को आनंद से भर देते हैं। मगर इन पलों को महसूस करने के लिए हमें ठहरना और इनका आनंद लेना आना चाहिए। आभार हमें सिखाता है कि हर छोटी घटना में एक बड़ी सीख छिपी होती है। जब हम अपनी उपलब्धियों और असफलताओं को क्षण भर के लिए दरकिनार कर जीवन को यात्रा के रूप में देखते हैं और सफलता-विफलता के प्रति समान रूप से कृतज्ञ हो पाते हैं, तभी हम सच्चे अर्थों में जीवन को समझने लगते हैं।
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आधुनिक समाज में सफलता को अक्सर केवल भौतिक उपलब्धियों से मापा जाता है, लेकिन क्या सफलता का मतलब केवल ऊंचाई पर पहुंचना और असफलता का मतलब केवल गिरना है? असल में, असफलता भी हमारे जीवन का उतना ही अहम हिस्सा है, जितना सफलता। जब हम अपनी असफलताओं को स्वीकार करते हैं और उनसे सीखते हैं, तो हम अपने जीवन को और अधिक समृद्ध बनाते हैं।
भागदौड़ और आत्मकेंद्रित जीवनशैली में भूलते गए कृतज्ञता
हमारी संस्कृति में कृतज्ञता को जीवन के गहरे और अनमोल तत्त्व के रूप में माना गया है। वेद, शास्त्र और ग्रंथों में यह बताया गया है कि कृतज्ञता मनुष्य के जीवन का सबसे सुंदर आभूषण है, जो न केवल आत्मा को शुद्ध करता है, बल्कि परस्पर संबंधों को भी मजबूती देता है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने प्रकृति, समाज और परिवार के प्रति आभार व्यक्त करने की परंपराओं को सजीव रखा। उन्होंने हमें यह सिखाया कि जीवन में हर चीज, चाहे वह हमारे आसपास की प्रकृति या पर्यावरण हो, माता-पिता का प्रेम हो या गुरु का ज्ञान हो, उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, हम अपनी भागदौड़ और आत्मकेंद्रित जीवनशैली में इस कृतज्ञता को भूलते गए।
सबकी अपनी नजर है, संसार जैसा है, वैसा ही रहेगा… तो क्यों न अपनी धुन में जिएं?
हमने प्रकृति को एक संसाधन के रूप में देखना शुरू कर दिया और इसी का परिणाम था प्राकृतिक संसाधनों की कमी और बर्बाद होता पारिस्थितिकी तंत्र। ठीक वैसे ही, अब जब हम एक-दूसरे के प्रति आभार खोने लगे हैं, तो हमारे संबंधों में दरारें आनी शुरू हो गईं। परिवार, दोस्त और समाज के साथ हमारे संबंधों में गहरी कचोट पैदा होने लगी है और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ने लगी हैं। हम इनसे परेशान तो होते हैं, मगर इसकी जड़ों की पहचान करके उनसे निपटने की कोशिश नहीं कर पाते।
पर्यावरण के प्रति हमे होना चाहिए आभारी
कृतज्ञता हमें न सिर्फ आत्मकेंद्रित होने से बचाती है, बल्कि हमें दूसरों के प्रति अधिक संवेदनशील और सहज बनाती है। यह हमें याद दिलाती है कि जीवन की सबसे बड़ी सुंदरता उसकी साधारणता में छिपी होती है- चाहे वह किसी का दिया हुआ हल्का-सा सहारा हो, एक मुस्कान का आदान-प्रदान हो या एक छोटी-सी अच्छाई का अहसास हो। जब हम प्रकृति, पर्यावरण और एक-दूसरे के प्रति आभारी होते हैं, तो यह न केवल हमारे जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाता है, बल्कि यह एक सामूहिक चेतना की ओर हमें प्रेरित करता है, जिसमें हम सब एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं।
जीवन का आधार है शुद्ध हवा, मिट्टी के हो रहे दोहन से भविष्य पर मंडरा रहा खतरा
कृतज्ञता एक ऐसी शक्ति है, जो हमें केवल आत्मिक शांति ही नहीं, बल्कि एक गहरे संतुलन और संतोष की ओर भी ले जाती है। यह हमें वर्तमान में जीने और उन क्षणों को पूरी तरह से आत्मसात करने का अवसर देता है, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। यह न केवल हमारे आंतरिक दृष्टिकोण को बदलती है, बल्कि हमें अपने चारों ओर की दुनिया से एक गहरा जुड़ाव महसूस करने की भी प्रेरणा देती है, जिससे जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने की क्षमता मिलती है।